हिंदी सिनेमा की एक लोकप्रिय अभिनेत्री कुछ साल पहले चर्चित हुई थी. उन्होंने फिल्म में एक भूमिका के अनुकूल अपने शरीर को ढालने के लिए अपने खानपान और ऐक्सरसाइज में बड़ा बदलाव किया था.

उन की देखादेखी काफी लोगों ने उस तरह की साइज जीरो फिगर की चाह में अपनी मानसिक व शारीरिक सेहत भी प्रभावित कर ली थी.

साइज जीरो क्यों है हानिकारक

कई लोगों को दुबलीपतली मौडल्स की रैंप पर वाक करते समय हड्डियां दिखने वाली फिगर आकर्षक लग सकती है. ‘साइज जीरो’ शब्द का इस्तेमाल अमेरिका में सब से छोटे साइज के कपड़ों के लिए किया जाता है और इस साइज के लोगों को फ्लैट फिगर वाला कहा जाता है. जिस का मतलब है ऐसी फिगर जिस में दर्शकों का पूरा ध्यान मौडल द्वारा पहने गए कपड़ों पर ही जाए, न कि कपड़े पहनने वाली मौडल के शरीर पर. क्या आप भी चाहती हैं कि आप के कपडे़ सब के आकर्षक का केंद्र बनें, न कि आप?

साइज जीरो का ट्रैंड हानिकारक है, क्योंकि ऐसा करने से महिलाओं का प्राकृतिक विकास और स्वास्थ्य दोनों प्रभावित होते हैं, खासतौर से युवतियों का जो सब से ज्यादा आकर्षक दिखने के दबाव में रहती हैं. कम कैलोरी वाला आहार लेने और एक वक्त का भोजन न करने से कई साइडइफैक्ट्स होते हैं. क्योंकि इस से शरीर में पोषक तत्त्वों का संतुलन बिगड़ जाता है. बेहतर दिखने की होड़ में डिप्रैशन व अन्य मानसिक समस्याएं भी उत्पन्न हो जाती हैं.

 zero size

बीमारियों का कारण

साइज जीरो के लिए हलकी व कम कैलोरी की डाइट लेने से युवतियों की हड्डियों पर भी गहरा असर पड़ता है, इस से उन की हड्डियों में औस्टियोपोरोसिस जैसी लाइलाज बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि हड्डियों के विकास में फैट की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है. देश में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में हड्डियों की बीमारी का खतरा तीनगुना अधिक है. ऐसे में यह ट्रैंड और भी गंभीर समस्या पैदा कर सकता है.

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