6 अप्रैल 1931 को जन्म लेने वाली, बीते समय की एक शानदार अभिनेत्री, सुचित्रा सेन को उनके रिटायरमेंट के बाद, अत्यधिक लोकप्रियता होने और एक विशाल प्रशंसक वर्ग होने के बावजूद कभी किसी सार्वजनिक समारोह में या दर्शको के बीच नहीं देखा गया.

आज उनके जन्मदिन पर आइये जानते हैं उनके बारे में कुछ खास बातें, जो आप में से बहुत कम लोग जानते होंगे...

1. सुचित्रा सेन एकमात्र ऐसी अदाकारा थीं, जिन्होंने केवल नई दिल्ली तक की यात्रा से बचने के लिए दादा साहब फाल्के पुरस्कार को अस्वीकार कर दिया था.

2. सुचित्रा सेन, पहली भारतीय बंगाली अभिनेत्री थीं जिन्होंने साल 1963 में अंतरराष्ट्रीय ‘मास्को फिल्म समारोह’ में फिल्म 'सात पाके बांधा' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार प्राप्त किया था.

3. सुचित्रा सेन ने उस समय के प्रसिद्ध निर्देशक सत्यजीत रे की उनके साथ काम करने की पेशकश को अस्वीकार कर दिया था, क्योंकि सुचित्रा एक पेशेवर अभिनेत्री थीं और वे अपने सफल करियर के लिए जिम्मेदार निर्देशकों को चोट नहीं पहुंचाना चाहती थीं.

4. सुचित्रा सेन ने बंगाली फिल्म उद्योग में खुद के लिए एक स्थान बनाया और फिर बाद में बॉलीवुड में भी खुद को एक सफल अभिनेत्री के तौर पर स्थापित किया. सुचित्रा सेन ने देवदास, आंधी और ममता जैसी कई यादगार फिल्मों में काम किया है.

5. सुचित्रा को अपने व्यक्तिगत जीवन में भी एक स्वतंत्र और मजबूत महिला के रूप में देखा जाता था. ये बात तो आप जानते ही होंगे कि सुचित्रा सेन अभिनेत्री मून मून सेन की मां और आज के समय की अभिनेत्रियों रीमा और राइमा सेन की दादी थीं.

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