अपने पिता की तरह बेबाक आलिया भट्ट की हाल ही में फिल्म ‘शानदार’ रिलीज हुई है, जिस में उन्होंने इन्सोमनिया से पीडि़त लड़की का किरदार निभाया है. इन्सोमनिया यानी ऐसी बीमारी जिस में इनसान को रात में नींद नहीं आती है.

पेश हैं, आलिया से हुई मुलाकात के कुछ अंश:

अब तक प्रदर्शित आप की सभी फिल्में बौक्स औफिस पर हिट रही हैं. इस की वजह?

फिल्म की सफलता से खुशी होती है, पर डर भी लगता है कि दर्शकों की अपेक्षाएं, उम्मीदें उसी अनुपात में बढ़ती जाती हैं. पर मेरा मानना है कि कड़ी मेहनत का कोई पर्याय नहीं होता. मैं हमेशा पूरी ईमानदारी, लगन व मेहनत से काम करती हूं और आगे भी करती रहूंगी.

क्या असफलता का डर सताता है?

मुझे असफलता का नहीं वरन कुछ गलत न हो जाए, इस बात का डर सताता है. मैं डरती हूं कहीं कोई गलत निर्णय न ले लूं.

आप ऐसे परिवार से हैं, जहां कलाकार, निर्माता व निर्देशक हैं. ऐसे में फिल्म का चयन करते समय किस से सलाह लेती हैं?

मैं ज्यादातर करण जौहर से सलाह लेती हूं. वे मेरे लिए पिता समान हैं. मेरे लिए परिवार के सदस्य हैं. मेरे लिए उन की राय बहुत माने रखती है. हां, यदि मैं अपने घर के किसी सदस्य की मदद लेती हूं तो वे हैं मेरी बहन शाहीन. उन से हर विषय पर मेरी खुल कर बात होती है. मेरे मम्मीपापा चाहते हैं कि मैं अपने निर्णय खुद लूं.

‘शानदार’ में आप का किरदार तनाव में खुशी ढूंढ़ लेता है. क्या निजी जिंदगी में भी ऐसा है?

‘शानदार’ की आलिया तनाव के क्षणों में भी खुशी ढूंढ़ लेती है, लेकिन मैं निजी जिंदगी में बहुत टैंशन लेती हूं, बहुत तनाव में रहती हूं. जबकि यह जानती हूं कि तनाव में रह कर काम करने से काम बिगड़ता है. यह भी अच्छी तरह जानती हूं कि इनसान को तनाव लेने के बजाय खुशीखुशी जिंदगी जीनी चाहिए.

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