कुछ सपने ऐसे होते हैं जो दिन में भी आप को सोने नहीं देते. ऐसे ही सपने देख कर अपने दिल की सुनने वाले दिल्ली के विभव ने ऐक्टिंग के जनून के कारण एक सफल सीए की जौब छोड़ कर मायानगरी का रुख किया और स्ट्रगल कर छोटे परदे पर अपनी एक अलग पहचान बनाई. विभव ने बालाजी टेलीफिल्म्स के नए शो ‘कुछ तो है तेरेमेरे दरमियां’ के लौंच इवेंट पर कुछ खट्टीमीठी यादों को हमारे साथ बांटा:

एक सीए ऐक्टर कैसे बन गया?

ऐक्टिंग का कीड़ा मेरे अंदर बचपन से था. मैं जब दिल्ली में था तो हर शुक्रवार अपने पेरैंट्स के साथ फिल्म देखने जाता था. स्कूलिंग के बाद मुझे ग्रैजुएशन के लिए आस्ट्रेलिया भेजा गया. वहां बी.कौम कंपलीट करने के बाद वहीं सीए की जौब भी मिल गई. लेकिन वहां मेरी जिंदगी बड़ी नीरस हो गई. वहां एक ढर्रे वाली जिंदगी जीतेजीते मेरा दम घुटने लगा. उस पर दिल हमेशा कहता था कि मेरी मंजिल कहीं और है. फिर एक दिन दिल की सुनी और सब कुछ छोड़ कर मुंबई आ गया. मेरे इस फैसले से पेरैंट्स को धक्का तो लगा पर उन्होंने मेरी बात को समझा. मुंबई में ऐक्टिंग का प्रशिक्षण मैं ने सर बैरीजौन के स्कूल से लिया और शुरुआत में स्ट्रगल भी किया. पहला शो मिला ‘गुस्ताख दिल’, उस में भी लीड रोल. फिर क्या था ऐक्टिंग की गाड़ी चल पड़ी और आज मैं अपना तीसरा शो एकता कपूर के साथ कर रहा हूं.

आप की नजर में प्यार क्या है?

जो आप को अपने से भी ज्यादा प्यारा लगने लगे, मेरी नजर में सच्चा प्यार वही है. लेकिन मुझे अभी तक ऐसा कोई मिला नहीं. मेरा परिवार सभी धर्मों के मेल वाला है. मेरे पापा यूपी से हैं, तो मम्मी पंजाबी और सिस्टर ने क्रिश्चन से शादी की है. मेरा क्या होगा अभी तक पता नहीं है.

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