बायोपिक फिल्मों की ही कड़ी का हिस्सा है फिल्म ‘‘सूरमा’’, जो कि फ्लिकर सिंह के रूप में मशहूर अर्जुन अवार्ड विजेता हौकी खिलाड़ी संदीप सिंह की बायोपिक फिल्म है. इसमें संदीप सिंह के करियर के उतार चढ़ाव व उनके संघर्ष को ही ज्यादा अहमियत दी गयी है.

फिल्म ‘‘सूरमा’’ की कहानी हौकी खिलाड़ी संदीप सिंह के पैतृक गांव पंजाब के शाहाबाद से शुरू होती है. इसी गांव में संदीप सिंह (दिलजीत सिंह) अपने भाई विक्रम सिंह (अंगद बेदी), अपने माता व पिता (सतीष कौशिक) व ताऊ के साथ रहता है. दोनों भाई बचपन से ही हौकी खेलते हैं. मगर हौकी कोच (दानिश हुसेन) की पिटाई से बचने के लिए संदीप सिंह हौकी खेलना बंद कर देता है. उसके ताऊजी उसे अपने खेतों पर ले जाकर उससे चिड़िया भगाने के लिए कहते हैं. चिड़ियों को भगाने के लिए संदीप सिंह आखिरकार हौकी का बैट ही उठा लेता है.

बड़े होने पर उसकी मुलाकात हौकी खिलाड़ी हरप्रीत सिंह (तापसी पन्नू) से होती है और पहली नजर में ही वह उससे प्रेम कर बैठता है. फिर हरप्रीत सिंह को पाने के लिए वह भी हौकी खेलने लगता है. हरप्रीत सिंह भी चाहती है कि संदीप हौकी खेले औरविश्व कप हौकी प्रतियोगिता में हिस्सा ले. अब उसके बड़े भाई विक्रम सिंह भी उसकी मदद करते हैं, हौसला बढ़ाते हैं.

पाकिस्तान के खिलाफ खेलते हुए वह इतनी तेज गति से खेलते हैं कि उन्हे ‘फ्लिकर सिंह’ का नया नाम मिल जाता है. उसके बाद 22 अगस्त 2006 को जब वह एक अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने के लिए रवाना होते हैं, तो ट्रेन में उनके पीछे बैठे एक पुलिस वाले की गलती से बंदूक चल जाती है और गोली संदीप सिंह की पीठ पर लगती है. उनका कमर से नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त हो जाता है. डाक्टर कह देते हैं कि अब वह हमेशा व्हील चेअर पर रहेंगे, हौकी नहीं खेल पाएंगे.

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