अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ईरानी फिल्मकार माजिद मजीदी ने जब अपनी पहली हिंदुस्तानी फिल्म ‘‘बियांड द क्लाउड्स’’ बनाने के लिए कलाकारों का चयन करना शुरू किया, फिल्म की हीरोईन कौन होगी, इस पर लंबे समय तक रहस्य बना रहा. क्योंकि माजिद मजीदी के संग हर अभिनेत्री काम करने को लालायित थी. दीपिका पादुकोण व कंगना रनौत से लेकर कई बड़ी बड़ी अदाकाराओं ने इस फिल्म के लिए लुक टेस्ट दिया था. पर अंततः यह फिल्म मिली मालविका मोहनन को. कन्नूर, केरला में जन्मी, मगर मुंबई में पली बढ़ी मालविका मोहनन के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि रही.

मजेदार बात यह है कि मालविका मोहनन के पिता यू के मोहनन बौलीवुड के मशहूर कैमरामैन हैं. इसके बावजूद मालविका मोहनन ने अभिनेत्री बनने की बात कभी नहीं सोची थी. पर 2013 में अचानक ममूटी ने उन्हें अपने बेटे व मलयालम फिल्मों के सुपर स्टार दुलकेर सलमान के साथ मलयालम फिल्म ‘‘पट्टम पोले’’ से अभिनेत्री बना दिया. इस फिल्म क प्रदर्शित होने के बाद मालविका मोहनन ने अभिनय में ही करियर बनाने का निर्णय कर लिया. उसके बाद उन्होंने चार मलयालम फिल्में की, मगर वह मलयालम की बजाय हिंदी फिल्में करना चाहती थीं. क्योंकि उनकी परवरिश मुंबई मे हुई थी और उन्हें हिंदी बहुत अच्छी आती है. इसी वजह से वह इन दिनों काफी उत्साहित हैं कि उनके करियर की पहली हिंदी फिल्म 20 अप्रैल को सिनेमाघरों में पहुंच रही है.

आपके पिता सिनेमा से जुडे़ हुए हैं, इसलिए आपने भी सिनेमा से जुड़ने का निर्णय लिया?

ऐसा नहीं है. हकीकत में फिल्मों से जुड़ने या अभिनय को करियर बनाने का मेरा कोई ईरादा नहीं था. मैंने तो कभी स्कूल कौलेज में भी किसी नाटक में अभिनय नहीं किया था. मैंने कभी कोई थिएटर नहीं किया. मेरा शौक तो एथलिट में था. मैं स्कूल के दिनों में स्प्रिंटर थी यानी कि दौड़ती थी. उसके बाद जब मैं कौलेज पहुंची, तो वहां एथलीट ग्रुप मिला नहीं. इसलिए वहां एथलीट से मेरी दूरी बन गयी. मुझे कभी कभी अफसोस होता है कि मैंने एथलीट को आगे क्यों नहीं बढ़ाया, जबकि दौड़ में मेरी टाइमिंग बहुत अच्छी थी. मैंने 100 और 200 मीटर में बहुत अच्छी टाइमिंग का रिकौर्ड बनाया था. वैसे भी कौलेज पहुंचने के बाद जिंदगी बदल जाती है. हम कौलेज की पढ़ाई व कोचिंग क्लास में इस कदर व्यस्त हो जाते हैं कि एथलीट की ट्रेनिंग या कोई और ट्रेनिंग लेने के बारे में सोचते ही नहीं हैं. मैं आज सोचती हूं कि यदि उस वक्त कौलेज में एथलीट का अच्छा ग्रुप होता या किसी ने मुझे सही सलाह दी होती, तो शायद एथलीट के क्षेत्र में मैं कुछ बेहतर कर रही होती. मेरे कहने का अर्थ यह है कि मेरी तकदीर ने मुझे अभिनेत्री बना दिया.

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