नियति का खेल निराला है. इंसान बनना कुछ चाहता है, पर नियति उसे बना कुछ देती है. ऐसा ही कुछ अपने समय के मशहूर अभिनेता विनोद मेहरा के बेटे रोहन मेहरा के साथ हुआ. रोहन मेहरा जब दो वर्ष के थे, तभी उनके पिता व अभिनेता विनोद मेहरा का देहांत हो गया था. उसके बाद उनकी मां किरण मेहरा उन्हे व उनकी बड़ी बहन सोनिया को लेकर मुंबई की फिल्म नगरी ही नहीं बल्कि भारत से दूर केन्या के मुंबासा शहर चली गयी थी. मुंबासा में परवरिश पाते हुए रोहन मेहरा ने इंवेस्टमेंट बैंकर बनने की सोची. मगर उनकी तकदीर ने उन्हे बौलीवुड में अभिनेता बना दिया. 26 अक्टूबर को प्रदर्शित हो रही गौरव के चावला निर्देशित फिल्म ‘‘बाजार’’ में वह सैफ अली खान, चित्रांगदा सिंह व राधिका आप्टे के साथ नजर आने वाले हैं.

हाल ही में रोहन मेहरा से हुई ‘‘एक्सक्लूसिव’’ बातचीत इस प्रकार रही.

  • आपने अभिनय में काफी देर से प्रवेश किया?

सर, इस सवाल का जवाब किस तरह से दूं. देखिए, मेरे पिता विनोद मेहरा के देहांत के बाद मैं अपनी मां व बहन के साथ मुंबई से केन्या के मुंबासा शहर अपने नाना नानी के पास तली गया था. मुंबासा गांव जैसा है. (फिल्म ‘बाजार’ में मेरा रिजवान का किरदार भारत के छोटे से शहर इलहाबाद से है. मगर मुंबासा के सामने इलहाबाद बहुत बड़ा शहर है). मुंबासा तो छोटा सा गांव है. वहां पर सिर्फ एक सिनेमाघर था और वह भी सिर्फ एक स्क्रीन. तो मेरी परवरिश मुंबई से बहुत दूर बहुत सामान्य तरीके से हुई. मैं आर्ट व फिल्म से बहुत दूर था. तो वहां पर रहते हुए मैं अभिनय करने की कल्पना तक नहीं करता था. वहां लोग इंजीनियर,डाक्टर या बिजनेसमैन बनने की सोचते हैं. वहां पर मैं मैथ्स व इकोनौक्सि पढ़ने का शौक था. तो मैं इंवेस्टमेंट बैंकर बनना चाहता था. मेरे दिमाग में वही चल रहा था. मेरी मां भी मुझे पूरा सपोर्ट कर रही थी.

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