कामेडी की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना चुकी स्टैंडअप कामेडियन भारती सिंह ने काफी संघर्ष के बाद इस मुकाम को हासिल की है. बचपन में पिता का साया उठ जाने के बाद भारती की मां और उनके मोटापे ने ही उन्हें इस मुकाम तक पहुंचने में मदद की. उनका मानना है कि कामेडियन मंच पर कितना भी सबको हंसाए, पर उसके भी जीवन में समस्याएं आती हैं. मंच पर पहुंचते ही उसे भूलकर सबको हंसाना पड़ता है.

पिस्तौल शूटिंग और तीरंदाजी में माहिर भारती को आर्थिक समस्या के कारण अपनी शौक को बीच में ही छोड़ना पड़ा. ‘द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेन्ज’ में ‘लल्ली’ की भूमिका काफी चर्चित रही. वह इसे अपना टर्निंग प्वाइंट मानती है. स्वभाव से हंसमुख और विनम्र भारती इस समय एंड टीवी पर ‘कामेडी दंगल’ में जज की भूमिका निभा रही हैं. उनसे बात करना रोचक था, पेश है अंश.

किसी शो को चुनते वक्त किस बात का ध्यान रखती हैं? किस बात से डर लगता है?

मैं हमेशा चाहती हूं कि मेरी किसी भी शो में मेरे काम की पुनरावृत्ति न हो. हर शो अलग हो, हर शो में मैं लोगों को हंसाऊं, कभी वे ये न कहें कि ये तो पहले भी मैंने देखा है, यही मेरी चुनौती होती है और इसका ही मुझे डर लगा रहता है.

इतने सारे कामेडी शो में सबसे अलग दिखने के लिए आपकी खुद की कोशिश क्या रहती है?

कामेडी हमेशा अंदर से आती है. मैंने देखा है कि कामेडियन बनने के लिए लोग कोर्स करते हैं, जबकि कामेडी की कोई कोर्स नहीं होती. ये आपके खून में होती है, सही टाइमिंग, भाषा पर सही पकड़, किसी सिचुएशन को अलग तरीके से पेश करना इत्यादि सभी मिलकर कामेडी को बनाते हैं. मुझसे सभी पूछते हैं कि मैंने कामेडी कहां से सीखी, जबकि मेरे अंदर ये बचपन से था. मुझे याद आता है कि छोटी उम्र में मैं सबकी नकल उतारती थी, मजा-मजाक किया करती थी, किसी भी सिचुएशन को लेकर लोगों को हंसाती थी. अभी अधिकतर मेरे संवाद स्क्रिप्टेड नहीं होते और अगर होते भी हैं, तो कई बार किसी को हंसी नहीं आती, ऐसे में दूसरी बातों का इस्तमाल तुरंत करना पड़ता है, जिसे सुनकर लोग हंसने लगते हैं. मैंने कभी नहीं सोचा कि कभी किसी को कामेडी सिखाउंगी. ये सिखाई नहीं जाती.

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