हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में हर साल 1000 से भी ज्यादा फिल्में रिलीज होती हैं. इनमें से कुछ तो फिल्म इंडस्ट्री के इतिहास में अपनी जगह बना लेती हैं, पर सब फिल्मों के नसीब में सेंसर बोर्ड की कैंची से बचना नहीं लिखा है. लिपस्टिक अंडर माई बुरका, इसका सबसे नया उदाहरण है.

पर कुछ फिल्में ऐसी भी हैं जिन्हें पर्दे पर पहुंचना नसीब हुआ. बॉलीवुड में हर जॉनर की फिल्में बनती हैं और हर जॉनर के दर्शक भी हैं. रामसे ब्रदर्स, राम गोपाल वर्मा, विक्रम भट्ट सबने हॉरर फिल्मों में अपना हाथ आजमाया है.

हॉरर फिल्में बच्चों से लेकर बड़ों तक सबको पसंद आती हैं. पर आजकल बन रही हॉरर मूवी में डर कम और बोल्ड सीन ज्यादा दिखाए जाते हैं. सेक्स जीवन का हिस्सा है तो जाहिर सी बात है कि इसे फिल्मों में भी बड़ी ही गर्मजोशी के साथ पेश किया जाता है. पिछले कुछ सालों में हॉरर जॉनर में बन रही हिन्दी फिल्में डराने से ज्यादा लोगों को बोर कर रही हैं. अंग्रेजी फिल्मों की चुराई हुई स्क्रिप्ट के सहारे घिसी-पीटि हॉरर मूवी बनाने का चलन जोरों पर है. स्क्रिप्ट चुराना एक बात है, पर देसी दर्शक के हिसाब से उसे बनाना भी एक कला ही है. पिछले हफ्ते रिलीज हुई मूवी ‘मोना डार्लिंग’ भी दूसरी फिल्मों से प्रेरित है और इसने भी बड़े पर्दे पर कुछ नया नहीं परोसा है.

ये सच है कि कुछ फिल्में बॉलीवुड के नाम पर काले धब्बे के जैसी थी, पर हिन्दी फिल्मों के अथाह सागर में भी कई ऐसी हॉरर फिल्में बनी जिसे देखने के लिए जिगरा चाहिए. आज हम आपको बताते हैं ऐसी कुछ फिल्मों के बारे में जिन्हें देखकर आपकी चीख निकल जाएगी. अपनी सुरक्षा के लिए ये फिल्में अकेले न ही देखें तो बेहतर होगा. बाकी आगे आपकी मर्जी...

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