नोटबंदी और तेज होती डिजिटल इंडिया की मुहिम के बाद बेशक लोग औनलाइन ट्रांजेक्शन की तरफ बढ़े हैं, लेकिन अब भी काफी सारे लोग ऐसे हैं जो औनलाइन लेन-देन से घबराते हैं. इसकी प्रमुख वजह समय-समय पर सामने आने वाली औनलाइन फ्रौड की शिकायतें हैं. लेकिन अब आपको घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि औनलाइन फ्रौड का शिकार होने वाले निर्दोष लोगों की मदद के लिए आरबीआई ने हाल ही में नई गाइडलाइन्स जारी की हैं. हम अपनी इस खबर के माध्यम से आपको बताएंगे कि औनलाइन फ्रौड का शिकार होने की सूरत में आप कितना रिफंड पाने के हकदार होते हैं.

औनलाइन ट्रांजेक्शन के दौरान हुए फ्रौड से जुड़े रिफंड नियम

पहले के समय में जब भी किसी ग्राहक के साथ कोई फ्रौड होता था तो सारा कसूर बैंक ग्राहक पर डाल देता था. ग्राहक को इस बात की पुष्टी करनी पड़ती थी उसने अपने बैंक डिटेल्स किसी के साथ साझा नहीं की, अब यह बैंकों के ऊपर है कि वे पता लगाएं कि ग्राहक कहां गलत था और वह औनलाइन बैंकिंग करते समय सतर्क था या नहीं.

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पहले के समय में ग्राहक को नुकसान उठाना पड़ता था, या फिर बैंक ग्राहक को पैसा लौटाने में लंबा समय लेते थे क्योंकि कोई स्पष्ट गाइडलाइंस नहीं थी. अब आरबीआई ने इस संबंध में स्पष्ट गाइडलाइंस जारी कर दी हैं. यह निश्चित रूप से ग्राहकों के लिए फायदेमंद साबित होगा. आरबीआई ने अपनी गाइडलाइंस में बैंकों के लिए यह अनिवार्य कर दिया है कि वे मजबूत और डायनैमिक फ्रौड डिटेक्शन की प्रणाली अपनाएं.

किन स्थितिओं में ग्राहकों को मिलेगा पूरा रिफंड

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