आप कामकाजी हैं या फिर हाउसवाइफ पैसा कहां खर्च हुआ, कितना खर्च हुआ और पैसा कैसे बचाया जाए, इसकी काफी जिम्मेदारी आप निभाती होंगी. सेविंग करने के आपके भी कुछ अनूठे तरीके होंगे. अगर आपको लगता है कि इन तरीकों से बात नहीं बन रही है तो अपने सेविंग प्लान में कुछ और तरीकों को अपना सकती हैं. चलिये बताते हैं.

महिलाओं पर पूरे परिवार का भार होता है, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता. घर की छोटी-बड़ी जरूरतों से लेकर, मुसीबत में पैसों के खर्च की जिम्मेदारी भी आप पर ही होती है. आज बढ़ती महंगाई के दौर में महिलाओं पर बचत का भार और भी बढ़ गया है. खर्च बढ़ गया है, लाइफ स्टाइल पहले से बेहतर हो गई है,

ऐसे में यह और भी जरूर है कि मुसीबत के वक्त के लिए आपके पास पैसों की कोई कमी न हों. अधिकांश परिवार में अब पति-पत्नी दोनों ही वर्किग हैं, ऐसे में थोड़ी-सी सूझ-बूझ से आप अपना परिवार अच्छे से चलाने के साथ-साथ अच्छी-खासी सेविंग भी कर सकती हैं. पैसों की बचत करने के लिए आपको कहीं दूर जाने की जरूरत नहीं, आपको सिर्फ अपने खर्च पर ध्यान देने की जरूरत है.

कितना सेविंग तय करें

आपकी सेविंग का लक्ष्य कुछ ऐसा होना चाहिए कि आप कम से कम 6 महीनों के अपने सामान्य खर्च के लिए सेविंग कर सकें. मुसीबत कभी बता कर नहीं आती, ऐसे में महीनों की छोटी-छोटी सेविंग कर, आप स्वयं को किसी गंभीर परेशानी से बचा सकती हैं. भले ही आपकी तनख्वाह आपके खर्च से कई गुना ज्यादा हो, या फिर कम. सेविंग आपकी कमाई की प्राथमिकताओं में से एक होना चाहिए. ऐसा जरूरी नहीं हैं कि आपको अपनी सामान्य जरूरतों में कमी करके सेविंग करनी पड़े, अपनी सुविधानुसार अपने पैसों की बचत करें, बचत की आदत डालें. सिर्फ खुद में ही नहीं, अपने परिवार के सदस्यों में बचत करना या फिजूलखर्ची नहीं करने का मतलब कंजूस होना नहीं होता है, यह बात अपने बच्चों को भी समझाएं. अगर बचपन से ही बच्चे में सेविंग की आदत पड़ेगी तो बड़े होकर वे भी अपने पैसों को बेहतर तरीके से मैनेज कर पाएंगे.

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