तनिष्क ने निजी जौहरियों की मौजूदगी के बावजूद भी अपनी जगह मार्केट में बना ली है. पहले सोचा जा रहा था कि जौहरियों का काम बड़ी कंपनियां नहीं कर पाएंगी पर अच्छे प्रचार और सही डिजाइनों के बल पर एक कंपनी ने अब जौहरियों को टक्कर देनी शुरू कर दी है. इन में एक बड़ी बात है उन के प्रचार में प्यारापन. उन की एडवर्टाइजिंग एजेंसी लौ लिंटास ने एक विज्ञापन बनाया है जिस में एक ससुर जब अपनी बहू को जन्मदिन पर ई कार्ड भेजने वाला होता है तो  सास बहू के लिए लाए तनिष्क के बुंदे पकड़ा देती है.

विज्ञापन चाहे जेवर बेचने के उद्देश्य से बनाया गया हो पर यह संदेश देना कि सासससुर यदि बहू के प्रति प्यार और दुलार रखेंगे तो ही घरपरिवार में सुख होगा, अच्छा लगता है. कुछ समय पहले कैडबरीज चौकलेट ने ‘कुछ मीठा हो जाए’ कह कर मिठाइयों के व्यापार को झटका दे दिया था. उस के विज्ञापन में कैडबरीज चौकलेट के साथ अच्छे काम के लिए समझदारी की बात ज्यादा लोकप्रिय हुई. इतनी कि चुटकुला चल पड़ा कि पत्नी कहे कि वह तलाक दे देगी तो पति उसे चौकलेट खिलाए. मनाने के लिए नहीं, अच्छा काम करने से पहले मीठा खिलाने के लिए.

बड़ी कंपनियों ने अब प्रचार और सेवा के बल पर छोटे दुकानदारों को बड़ी चुनौती दी है. छोटे दुकानदार आज भी ग्राहक को पैसा लूटने का माध्यम समझते हैं और उस की सेवा करना उन की शब्दावली में ही नहीं होता. जिस की दुकान चलती है वह ठसके से व्यवहार करता है- माल लेना है तो लो वरना आगे चलो. छोटे दुकानदार प्रचार करना तो दूर जहां ग्राहक खड़ा हो वहां की जगह न साफ रखते हैं न वहां पंखा तक लगाते हैं. बहुत तो दुकान ही इस तरह बनाते हैं कि ग्राहक सड़क पर खड़ा हो. ग्राहक का मन पढ़ना और उस की सेवा करना हर उत्पादक और उस के विक्रेता का काम है. यह पाठ छोटे मंझोले दुकानदार नहीं समझते क्योंकि वे ग्राहक की जेब ढीली करने में लगे रहते हैं. ऐसे दुकानदार खराब डुप्लीकेट सामान औनेपौने दामों में बेचते हैं और फिर ग्राहकों से झगड़ते हैं. उधर बड़ी कंपनियां उन्हें घर में रहने का पाठ भी पढ़ाती हैं.

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