जब आप घर बेचते हैं तो कैलेंडर पर भी नजर रखिए. अगर इसकी टाइमिंग सही नहीं हुई तो आपको काफी टैक्स चुकाना पड़ सकता है. अगर प्रॉपर्टी को खरीदने के तीन साल के अंदर बेचा जाता है तो इससे होने वाले प्रॉफिट को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा. इस रकम को आपकी कुल इनकम में जोड़ा जाएगा और उसके बाद आपके टैक्स स्लैब के हिसाब से इस पर टैक्स वसूला जाएगा. इसका मतलब यह है कि जो लोग साल में 10 लाख रुपये से अधिक कमाते हैं, उन्हें ऐसे ट्रांजैक्शन पर मुनाफे का 30 पर्सेंट टैक्स चुकाना पड़ेगा.

वहीं, घर पांच फाइनेंशियल ईयर के अंदर बेचा जाता है तो इस पर आपको टैक्स बेनेफिट से हाथ धोना पड़ सकता है. आपने प्रिंसिपल री-पेमेंट, स्टैंप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन पर सेक्शन 80 सी के तहत जो टैक्स छूट क्लेम की होगी, वह रिवर्स हो सकती है और घर बेचने वाले साल में रकम टैक्सेबल हो सकती है. इसमें सिर्फ सेक्शन 24बी के तहत इंटरेस्ट पेमेंट पर मिली छूट वापस नहीं ली जाएगी. इसलिए प्रॉपर्टी को कम से कम तीन साल के लिए होल्ड करना जरूरी है.

अगर आप प्रॉपर्टी को तीन साल के बाद बेचते हैं तो प्रॉफिट को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा और इंडेक्सेशन के बाद इस पर 20 पर्सेंट के हिसाब से टैक्स लगेगा. इंडेक्सेशन में होल्डिंग पीरियड के दौरान महंगाई दर के असर को शामिल किया जाता है और उस हिसाब से घर खरीदने की कीमत में एडजस्टमेंट होता है. इससे घर बेचने वाले के टैक्स के बोझ में काफी कमी आती है. इसके दूसरे फायदे भी हैं.

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