म्युचुअल फंड में किए हुए निवेश पर बैंक एफडी और पोस्टल स्कीम से ज्‍यादा रिटर्न मिलता है. इसके चलते निवेशकों का रुझान तेजी से म्युचुअल फंड स्कीम की ओर बढ़ा है. लेकिन, ऐसा नहीं है कि सभी निवेशकों को मोटा रिटर्न ही मिला है. बिना सोचे-समझे किए हुए निवेश पर उम्‍मीद के अनुरूप रिटर्न नहीं मिलता है और अक्‍सर घाटा भी उठाना पड़ा है. इसकी वजह है निवेशक को फंड के बारे में सही जानकारी नहीं होना.

फंड का पिछला प्रदर्शन

किसी भी म्युचुअल फंड को समझने के लिए उस फंड के पिछले दो-तीन साल के प्रदर्शन को देखें. हालांकि, पिछला प्रदर्शन भविष्य के प्रदर्शन का आधार नहीं हो सकता है. लेकिन, इससे आपको यह पता चल जाएगा कि यह फंड कैसा प्रदर्शन कर रहा है. उदाहरण के तौर पर अगर कोई फंड तीन साल से मार्केट में है और उसमें 10,000 रुपए का निवेश किया गया है तो यह देखना होगा कि आज के समय में 10,000 रुपए की वैल्यू क्‍या है और उस पर कितना फीसदी रिटर्न साल दर साल मिला है.

पोर्टफोलिओ

निवेशक म्युचुअल फंड में इसलिए निवेश करता है क्योंकि इसमें शेयर मार्केट से कम रिस्क होता है. शेयर मार्केट में कोई निवेशक खुद से शेयर का चुनाव करने में असमर्थ होता है, जबकि म्युचुअल फंड का चुनाव वह कर सकता है. इसलिए म्युचुअल फंड में निवेश से पहले उसका पोर्टफोलियो चेक करना बहुत जरूरी होता है. अगर, आप डेट फंड में निवेश करते हैं तो उसका क्रेडिट प्रोफाइल जरूर चेक कर लें.

एक्‍सपेन्‍सेज

म्‍युचुअल फंड में निवेश से पहले एक्‍सपेन्‍सेज रेशियो को जरूर चेक करें. अगर, डेट फंड में निवेश करने जा रहे हो तो एक्‍सपेन्‍स रेशियो देखना अनिवार्य हो जाता है. अगर डेट फंड में एक्‍सपेन्‍स रेशियो कम है तो इसमें निवेश करना ज्‍यादा फायदेमंद होगा. इसके साथ ही फंड का कार्पस भी चेक करें. कार्पस में तेजी से गिरना भी खतरे की घंटी होता है.

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