कई बार सुनने में आता है कि इंश्योरैंस कंपनी ने मुआवजा या क्लेम देने से इनकार कर दिया तब हम ये सोच बैठते हैं कि ये ऐसे ही है लेकिन ऐसा होता नहीं है. असल में कहीं ना कहीं उस क्लेम को ना मिल पाने में हमारी भी गलती रहती है.

इंश्योरैंस पौलिसी का ज्यादा से ज्यादा लाभ आपको और आपके परिवार को मिले, इस के लिए जीवन बीमा की इन बारीकियों को जरूर समझें.

जीवन बीमा एक ऐसी व्यवस्था है, जिस के द्वारा व्यक्ति अपने न रहने पर परिवार को कुछ हद तक आर्थिक सुरक्षा प्रदान कर सकता है. ज्यादातर लोग बीमा ऐजेंट के कहने या टैक्स बचाने अथवा कभी कभी निवेश के साधन के रूप में भी बीमा करवाते हैं. बीमा व्यक्ति के भविष्य का आर्थिक नियोजन है, इसलिए बीमा पौलिसी खरीदते समय पूरी सावधानी बरतनी जरूरी है.

सब से पहले यह तय करना चाहिए कि बीमा क्यों करवाना चाहते हैं. वैसे बीमा मुख्य रूप से बीमित व्यक्ति के नहीं रहने पर उस के आश्रितों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है. यदि इस उद्देश्य के लिए बीमा लेना है तो सब से बढि़या आजीवन बीमा यानी टर्म इंश्योरैंस लेना बेहतर रहता है. इस के अंतर्गत बीमित व्यक्ति को एक अवधि तक प्रीमियम जमा करना होता है. यह राशि काफी कम होती है और इस राशि के बदले बड़ी राशि की बीमा सुरक्षा मिल जाती है.

उपयुक्त बीमा कंपनी का चुनाव

व्यक्ति को भविष्य की योजना बनाते समय परिवार की सुरक्षा के लिए इस तरह का बीमा जरूर लेना चाहिए. बीमा प्रीमियम के रूप में चुकाई गई राशि पर आयकर अधिनियम की धारा 80सी के अंतर्गत 1.50 लाख तक की छूट मिलती है. आमतौर पर लोग कर बचाने के लिए ऐजेंट के कहे अनुसार बीमा करा लेते हैं. यदि केवल कर बचाने के लिए कुछ करना है तो बीमा अच्छा विकल्प नहीं है, क्योंकि इस धारा के अंतर्गत बीमा के अलावा और कई विकल्प हैं, जिनसे कर छूट मिल जाएगी और आप के द्वारा जमा की गई राशि पर अच्छा रिटर्न भी मिल जाएगा.

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