सर्विस सेक्टर के तबके के बहुत से लोगों के लिए सेवानिवृत्ति या रिटायरमेंट के बाद सिर्फ भविष्य निधि या प्रॉविडेंट फंड ही सहारा रह जाता है. इसका मूल कारण है पेंशन जो कि सिर्फ कुछ लोगों को ही मिलती है. ऐसी असमानता के बाद भविष्य निधि या पीएफ का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है. पीएफ ऐसे लोगों के भी काम आता है  जो किसी बिजनेस से जुड़े हैं या जिनके पास स्वरोजगार के साधन हैं. सरकार ने ऐसे नियम बनाए हैं जिसके बदौलत कोई भी व्यक्ति अपने भविष्य के लिए बचत कर सकता है.

समस्या है जानकारी के अभाव की. कई नौकरीपेशा लोगों को पता ही नहीं होता की पीएफ क्या है या इसके क्या फायदे हैं. आज हम आपको पीएफ के बारे में कुछ जानकारी देंगे, जिससे आपको इसके बारे में थोड़ी सी जानकारी मिले.

प्रॉविडेंट फंड या भविष्य निधि तीन तरह के होते हैं: ईपीएफ यानी इंप्लॉई प्रॉविडेंट फंड, पीपीएफ यानी पब्लिक प्रॉविडेंट फंड और जीपीएफ यानी जनरल प्रॉविडेंट फंड.

ईपीएफ (इंप्लॉई प्रोविडेंट फंड)

कर्मचारियों के हितों की सुरक्षा और उनके भविष्य की सुरक्षा के लिए भारतीय संसद ने 1952 में कर्मचारी भविष्य निधि ऐक्ट को पारित किया था. जम्मू कश्मीर के अलावा पूरे देश में यह ऐक्ट लागू कर दिया गया था. 20 या इससे अधिक कार्यरत कर्मचारियों वाले सभी संगठनों को भविष्य निधि खाता रखना जरूरी है.

कब नहीं खुलता ईपीएफ खाता ?

इन दो कारणों से नहीं कटता आपका पीएफ

- अगर आपकी कंपनी में 20 से कम कर्मचारी है तो पीएफ कटना जरूरी नहीं है.

- अगर किसी कंपनी में 20 से ज्यादा कर्मचारी हैं और सभी कर्मचारियों की बेसिक सैलरी और डायरेक्ट अलाउंस 15 हजार रुपये से अधिक है और इन सबने फार्म 11 भरकर ईपीएफ से बाहर रहने का फैसला किया है तो ऐसे में पीएफ की कटौती नहीं होगी. 

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