रैडी टु ईट या कहिए पैक्ड फूड आज की फास्ट लाइफ में घरघर दस्तक दे चुका है. कहीं समय न मिलने की मजबूरी तो कहीं इस के बेहतरीन स्वाद ने लोगों को इस का दीवाना बना दिया है. पैक्ड फूड में खानेपीने की चीजों की लंबी सूची है. इसे बनाने के लिए न तो घंटों किचन में खड़े होने की जरूरत है और न ही पसीना बहाने की. बस पैकेट या ढक्कन खोलो और खा या पी लो. यह इन तैयार पैकेटों का ही कमाल है कि खाने में बेहतरीन स्वाद लाने के लिए अब मसालों को कूटनेपीसने की जरूरत नहीं पड़ती. आज हर मसाले का पेस्ट बाजार में उपलब्ध है. पर क्या ये खाद्यपदार्थ हमारे स्वास्थ्य के लिहाज से भी उतने ही सुरक्षित हैं जितने कि बनाने की सहूलत के मामले में?

इस संबंध में केसर के सीईओ अमन सहगल बताते हैं कि बेशक रैडी टु ईट फूड या पैक्ड फूड खाने में कितना भी सुरक्षित क्यों न हो, लेकिन घर के बने ताजा खाने की कभी बराबरी नहीं कर सकता. न ही पैक्ड फूड को कंप्लीट डाइट के तौर पर लिया जा सकता है. वजह इसे आकर्षक बनाने के लिए इस में मिलाए गए आर्टिफिशियल कलर और प्रिजर्वेटिव के कारण कई बीमारियां होने की संभावना रहती है. जैसे, पेट में गैस बनने की समस्या, पाचनतंत्र से जुड़ी समस्या आदि. साथ ही प्रोसैसिंग के दौरान खाद्यपदार्थ से काफी सारे पौष्टिक तत्त्व निकल जाते हैं. अत: जब कभी रैडी टु ईट फूड लेना पड़े तो सब से पहले फूड लैवल में लिखित निम्न बातों को ध्यान से पढ़ना न भूलें:

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