मिरगी एक आम मस्तिष्क संबंधी विकार है, जिसका इलाज संभव है. कुल मिला कर प्रति 1000 लोगों में 7-8 लोगों को मिरगी का रोग बचपन में हो जाता है. अनुमान तो यह भी लगाया गया है कि दुनिया भर में 50 लाख लोग मिरगी के रोग से पीडि़त हैं.

मिरगी की अभिव्यक्ति के अलग अलग तरीके होते हैं, जिनमें से कुछ नाम नीचे दिए गए हैं:

शरीर के पूरे या आधे भाग में मरोड़ और अकड़न.

दिन में सपने देखना.

असामान्य अनुभूतियां जैसे डरना, अजीब सा स्वाद महसूस करना, गंध और पेट में झनझनाहट महसूस करना

अत्यधिक चौंकना

फिट आने के बाद रोगी नींद या उलझन महसूस करने लगता है, साथ उसे सिरदर्द की शिकायत भी हो सकती है

क्या हैं मिरगी के कारण?

मस्तिष्क कई तंत्रिका कोशिकाओं से मिल कर बना हुआ है, जो शरीर के विभिन्न कार्यों को विद्युत संकेतों द्वारा नियंत्रित करता है. यदि ये संकेत बाधित होते हैं, तो व्यक्ति मिरगी के रोग से पीडि़त हो जाता है (इसे ‘फिट’ या ‘आक्षेप’ कहा जा सकता है.) मिरगी के जैसे कई अन्य रोग भी होते हैं. मसलन, बेहोश (बेहोशी), सांस रोग और ज्वर आक्षेप.

मगर इन सभी को मिरगी का दौरा नहीं कहा जा सकता. क्योंकि ये मस्तिष्क की गतिविधियों को बाधित नहीं करते हैं. यह महत्त्वपूर्ण है कि इन की सही पहचान हो और इन की अलग प्रबंधन रणनीति का ज्ञान हो.

कई रोगियों को मस्तिष्क में निशान होने की वजह से मिरगी के दौरे आते हैं. ये निशान उन्हें बचपन में सिर पर चोट लगने या फिर मस्तिष्क में संक्रमण के कारण हो जाते हैं. कुछ लोगों को मस्तिष्क विकृतियों के कारण मिरगी के दौरे पड़ने लगते हैं. कुछ बच्चों की मिरगी के पीछे आनुवंशिक कारण होते हैं. कह सकते हैं कि मिरगी के दौरे पड़ने का सही कारण जान पाना अभी भी आसान नहीं है.

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