दुनिया की हर औरत के लिए मां बनने का एहसास सब से निराला और अनूठा है. नवजात के गर्भ में आने से ले कर उस के जन्म लेने तक हर मां शारीरिक बदलाव के साथसाथ अपने अंदर एक भावनात्मक बदलाव भी महसूस करती है.

बच्चे का जन्म जहां एक ओर खुशियां ले कर आता है, वहीं दूसरी ओर नई जिंदगी के लालनपालन की जिम्मेदारी का एहसास भी कराता है.

भावों से भरा ममता का बंधन

नन्हेमुन्ने के जन्म के साथ ही शुरू होता है उस की देखभाल का सिलसिला. ये सिलसिला एक प्यारा सा एहसास, ममता मां के दिल में जगाता है. नवजात की देखरेख करतेकरते मां और बच्चे के बीच भावनात्मक जुड़ाव भी विकसित होने लगता है और ये जुड़ाव ही मां व बच्चे के रिश्ते को सब रिश्तों में सब से खास बनाता है.

भावनाओं से भरपूर ममता का ये बंधन इतना अनूठा होता है कि बच्चे की एक किलकारी पर ही मां समझ जाती है कि बच्चा क्या कहना चाहता है. नवजात भी अपनी मां की गोद को ही दुनिया की सब से आरामदायक और सुरक्षित जगह मानता है.

नटखट को नहलाते, दूध पिलाते, मालिश करते और संवारते समय जब मां उस का लालनपालन कर रही होती है, तब मांबच्चे के रिश्ते की डोर और भी मजबूत हो रही होती है. ममता का ये स्पर्श ही तो देता है मासूम की जिंदगी को एक मजबूत शुरुआत.

ऐसे करें नवजात की केयर

यूं तो घर में दादीनानी, मां या सास बच्चे की देखभाल करने में हाथ बंटाती हैं, पर बच्चे की देखरेख के लिए मां को भी सजग रहना चाहिए. अधिकतर अस्पतालों और नर्सिंगहोम में नवजात शिशु को जन्म के दूसरे दिन नहलाया जाता है, लेकिन आप चाहें तो अपने बच्चे को पहले ही दिन नहला सकती हैं.

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