हमारे मस्तिष्क का अनगिनत तंत्रतंत्रिकाओं का विस्तृत नैटवर्क एक कंप्यूटर के समान है, जो हमें निर्देश देता है कि किस प्रकार विभिन्न संवेदों, जैसे गरम, ठंडा, दबाव, दर्द आदि के प्रति प्रतिक्रिया व्यक्त की जाए. इस के साथ ही यह बोनसस्वरूप हमें भावनाओं व विचारों को सोचनेसमझने की शक्ति भी देता है. हम जो चीज खाते हैं, उस का सीधा असर हमारे मस्तिष्क के कार्य पर पड़ता है. यह सिद्ध किया जा चुका है कि सही भोजन खाने से हमारा आई.क्यू. बेहतर होता है, मनोदशा (मूड) अच्छी रहती है, हम भावनात्मक रूप से ज्यादा मजबूत बनते हैं, स्मरणशक्ति तेज होती है व हमारा मस्तिष्क जवान रहता है. यही नहीं, यदि मस्तिष्क को सही पोषक तत्त्व दिए जाएं तो हमारी चिंतन करने की क्षमता बढ़ती है, एकाग्रता बेहतर होती है व हम ज्यादा संतुलित व व्यवस्थित व्यवहार करते हैं.

ऐजिंग का असर

ऐजिंग का हमारी सीखने की शक्ति व याददाश्त पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. कई शोधों से यह बात सामने आई है कि मुक्त मूलकों (फ्री रैडिकल्स) द्वारा होने वाले ‘औक्सीडेटिव डैमेज’ व ‘ब्रेन स्टारवेशन’ दिमागी कमजोरी के 2 मुख्य कारण हैं. लेकिन अन्य अंगों, जैसे हृदय, लीवर आदि की तरह हम अपने मस्तिष्क को भी स्वस्थ रख सकते हैं. ऐजिंग की प्रक्रिया को स्लो करने व मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए ब्रेन बूस्टिंग यानी दिमागी शक्ति को बढ़ाने वाला ऐसा आहार लें, जो विटामिंस, ऐंटीऔक्सीडेंट्स, ओमेगा-3 फैटी ऐसिड्स व डी.एच.ए. से भरपूर हो. यह आहार न सिर्फ ऐजिंग की प्राकृतिक प्रक्रिया को संतुलित करने में सहायक होगा, बल्कि डिप्रैशन से भी सुरक्षा प्रदान करने में मदद करेगा.

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