वक्त गुजरने के साथ हर वस्तु घिसती है, चाहे वह कोई मशीन हो या फिर हमारा शरीर. जैसेजैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारे शरीर के अंग शिथिल पड़ते जाते हैं. ठीक ऐसा ही हमारी हड्डियों के साथ भी होता है. बुजुर्ग लोगों को अकसर आप ने जोड़ों के दर्द से परेशान देखा होगा, जिस का मुख्य कारण हमारी हड्डियों में कार्टिलेज की कमी होना है. कार्टिलेज वास्तव में हड्डियों में रबड़ जैसा चिकना और सख्त पदार्थ होता है, जो हड्डियों को आपस में घर्षण से बचाता है. समय के साथ इस के घिसने से हड्डियां आपस में टकराने लगती हैं. इस कारण व्यक्ति को चलतेफिरते, उठतेबैठते दर्द महसूस होता है और वह सामान्य दिनचर्या भी सुचारु रूप से नहीं चला पाता. ऐसी स्थिति में आर्थ्रोप्लास्टी की आवश्यकता पड़ती है.

क्या है आर्थ्रोप्लास्टी

आर्थ्रोपीडिक सर्जन डा. नवीन तलवार ने बताया कि यह जौइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी है, जिस के द्वारा कंधे, घुटने व कूल्हे के खराब जोड़ों को बदला जा सकता है. यह मुख्य रूप से गठिया रोग की उस स्थिति में किया जाता है, जब व्यक्ति का चलनाफिरना बिलकुल बंद हो जाता है और हड्डियां खुरदरी व सफेद दिखने लगती हैं. तब उस खराब हिस्से के ऊपर व नीचे दोनों तरफ एक कैप लगा कर उसे ठीक किया जाता है. यह कैप टाइटैनियम की बनी होती है, जो बेहद हलकी धातु है. इस से मरीज को जोड़ों में भारीपन महसूस नहीं होता और वह आराम से चलफिर सकता है. इस के अलावा इसे जगहजगह से जोड़ने के लिए पौलीइथीलीन का प्रयोग किया जाता है. यह कुछकुछ नाइलोन की तरह होता है.

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