छींक शरीर द्वारा नाक या गले के जरीए अशुद्धियों को बाहर निकालने का तरीका है. यह हमेशा ही अचानक आती है और आप का इस पर कोई नियंत्रण नहीं होता. हालांकि यह काफी परेशान करने वाली हो सकती है, परंतु यह किसी गंभीर शारीरिक समस्या का संकेत नहीं होती.

छींक का कारण

सांस के रूप में शरीर के अंदर हम जो हवा लेते हैं उसे साफ करना नाक के काम का हिस्सा है, जिस से वह धूलकण व जीवाणुरहित हो जाए. ज्यादातर मामलों में आप की नाक धूलकणों व जीवाणुओं को श्लेष्मा में कैद कर लेती है. इस के बाद आप का पेट इस श्लेष्मा झिल्ली में जलन या उत्तेजना पैदा करती है, तो छींक का कारण बनती है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (एनआईएच) के अनुसार, ऐलर्जी, सामान्य सर्दी या फ्लू, नाक की परेशानी व किसी दवा को छोड़ने आदि की वजह से छींकें पैदा हो सकती हैं.

ऐलर्जी:

यह बाहरी जीवों के संपर्क में आने के पश्चात शरीर द्वारा की जाने वाली प्रतिक्रिया है. सामान्य स्थिति में आप के शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली रोग के कारक विषाणुओं से आप की रक्षा करती है. लेकिन अगर आप को ऐलर्जी है तो आप के शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली नुकसानरहित जीवों को भी चेतावनी के तौर पर लेती है. ऐलर्जी की वजह से जब आप का शरीर उन बाहरी जीवाणुओं को बाहर निकाल फेंकना चाहता है, तो आप को छींक आती है.

विषाणु (वायरस):

इस की वजह से होने वाले संक्रमण जैसे, सामान्य सर्दी व फ्लू से भी छींक आती है, तो नाक में आई चोट, किसी खास दवा, मिर्च और धूलकणों आदि का सांस के जरीए अंदर जाना और ठंडी हवा में सांस लेना भी छींक आने का कारण बनता है. इस बात का पता अब तक नहीं चला है कि किसी खास चीज से जहां किसी को ऐलर्जी हो जाती है, वहीं दूसरे के साथ ऐसा क्यों नहीं होता. लेकिन इस बात का पता चल जाता है कि आप का शरीर ऐलर्जी के किन कारकों को ले कर संवेदनशील है. हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कुछ इस प्रकार बनी होती है कि जैसे ही कोई बाहरी अवयव हमारी नाक में प्रवेश करता है, उस से पीछा छुड़ाने के लिए शरीर में कई तरह की प्रतिक्रियाएं होती हैं.

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