शहद एक मधुर द्रव है, जो मधुमक्खियों द्वारा पुष्पों के मकरंद को चूस कर उस में अतिरिक्त पदार्थों को मिलाने के बाद छत्ते के कोषों में इकट्ठा करने से बनता है. शहद बेहद मीठा होता है. दूध के बाद शहद ही ऐसा पदार्थ है, जो उत्तम व संतुलित भोजन की श्रेणी में आता है, क्योंकि शहद में वे सभी तत्त्व पाए जाते हैं, जो संतुलित आहार में होने चाहिए. इस के बावजूद पाश्चात्य संस्कृति व आधुनिकता की अंधी दौड़ में शहद आज जनसामान्य के बीच अपनी लोकप्रियता खोता जा रहा है.

शुष्क व शीतल

शहद को मधु भी कहते हैं. आयुर्वेद में शहद को मीठा, शुष्क और शीतल होने के साथसाथ स्रावरोधी भी बताया गया है. यह वात और कफ को नियंत्रित करता है तथा रक्त व पित्त को सामान्य रखता है. आयुर्वेद में शहद को दृष्टि के लिए बहुत अच्छा माना गया है. यह प्यास को शांत करता है, कफ को बाहर निकालता है, शरीर में विषाक्तता को कम करता है और हिचकियों को रोकता है. इतना ही नहीं, शहद मूत्रमार्ग में उत्पन्न व्याधियों तथा निमोनिया, खांसी, डायरिया, दमा आदि में भी बहुत उपयोगी होता है. यह घावों के पानी को सोख कर भरण प्रक्रिया को तीव्र करता है तथा ऊतकों की वृद्धि को बढ़ाता है.

शहद में लगभग 75% शर्करा होती है, जिस में फ्रूक्टोज, ग्लूकोज, सुक्रोज, माल्टोज, लैक्टोज आदि प्रमुख हैं. शहद में जल 14 से 18% तक पाया जाता है. अन्य पदार्थों के रूप में प्रोटीन, वसा, एंजाइम तथा वाष्पशील सुगंधित पदार्थ भी पर्याप्त मात्रा में उपस्थित रहते हैं. यही नहीं, शहद में विटामिन ए, विटामिन बी1, बी2, बी3, बी5, बी6, बी12 तथा अल्प मात्रा में विटामिन सी, विटामिन एच और विटामिन के भी विद्यमान रहते हैं. इन के अतिरिक्त शहद में फास्फोरस, कैल्सियम, आयोडीन, आयरन भी पाए जाते हैं.

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