गर्भ में पल रहे शिशु के लिए गर्भनाल जीवन की डोर होती है. अब यही गर्भनाल स्टेम कोशिका प्रतिरोपण के महत्त्वपूर्ण विकल्प के रूप में सामने आई है, जिस से मस्तिकाघात, कैंसर, रक्त, आनुवंशिक एवं हृदय से जुड़े रोगों के उपचार को नई दिशा मिली है. इस प्रणाली को गर्भनाल स्टेम कोशिका बैंकिंग कहा जाता है. इन बैंकों में गर्भनाल में मौजूद स्टेम कोशिकाओं को वर्षों तक संरक्षित रखा जाता है.

गर्भनाल की लंबाई

गर्भनाल की लंबाई 300 सैं.मी. और चौड़ाई 3 सैं.मी. होती है. गर्भनाल में 380 हेलिसेक होते हैं. उन महिलाओं को, जिन की गर्भनाल सामान्य से बड़ी होती है, परेशानी महसूस होती है. ऐसे में बच्चे की स्थिति खराब हो सकती है और गर्भाशय उलटा हो सकता है, जिस से गर्भ में बच्चे की मौत भी हो सकती है.

कब काटें गर्भनाल

जन्म के समय नवजात की गर्भनाल को देर से काटने से उसे काफी फायदा होता है. एक शोध के अनुसार, करीब 4 हजार महिलाओं और उन के नवजातों के अध्ययन में पाया गया कि जिन नवजातों की गर्भनाल देर से काटी गई उन के रक्त में आयरन का स्तर अधिक पाया गया. कई देशों में मां और बच्चे को जोड़ने वाली गर्भनाल को जन्म के 1 मिनट से भी कम समय के भीतर काट दिया जाता है. लेकिन गर्भनाल को जल्दी काटने से मां के शरीर से बच्चे के शरीर में जाने वाले रक्त की मात्रा कम हो जाती है. इस से बच्चे के रक्त में आयरन की मात्रा प्रभावित होती है. कुछ शोधों में यह भी पाया गया है कि जन्म के 1 मिनट के बाद गर्भनाल काटने से नवजात में पीलिया का खतरा थोड़ा बढ़ जाता है. इसलिए जन्म के समय गर्भनाल काटे जाने के समय का निर्धारण काफी सोचसमझ कर करें.

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