मैट्रो कल्चर ने जहां लोगों को कम जगह में रहने को मजबूर कर दिया है, वहीं उन्हें कई ऐसे विकल्प भी दिए जिन से वे अपने छोटे से घरौंदे में भी अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं. इन्हीं सपनों में एक सपना है बगिया यानी गार्डन का. कल तक जो गार्डन खुले हिस्से में दूरदूर तक फैला होता था, वह अब कहीं छतों तक सिमट आया है तो कहीं टैरिस में गमलों में लटकने लगा है.

इन्हीं खूबसूरत पौधों को हैंगिंग गार्डन का नाम दिया गया है.

हैंगिंग गार्डन से जुड़ी कई बातों की जानकारी दे रही हैं नैशनल ब्यूरो औफ प्लांट जेनेटिक रिसोर्सेस की सीनियर साइंटिस्ट डा. प्रज्ञा रंजन:

हैंगिंग गार्डन का कौंसैप्ट बेबीलोन की सभ्यता से आया है. भारत में यह ब्रिटिश कल्चर से आया है. शहरों में कम पड़ती जगह व खूबसूरती के लिहाज से हैंगिंग गार्डन का कौंसैप्ट लोगों द्वारा तेजी से इस्तेमाल किया जा रहा है. इन दिनों एक तरह के प्लांट गमले में लगाने का ट्रैंड चल पड़ा है. इस के अलावा कोनिकल शेप भी हैंगिंग गार्डन को यूनीक स्टाइल देता है. यदि आप ज्यादा परेशान होने के मूड में नहीं हैं तो रेडीमेड गमलों का चुनाव हैंगिंग गार्डन के लिए कर सकती हैं.

यदि आप खुद हैंगिंग गार्डन लगाना चाहती हैं तो कुछ बातों को ध्यान में रखना होगा.

हैंगिंग गार्डन लगाने से पहले

सब से पहले तो आप यह तय करें कि आप को किस जगह हैंगिंग गार्डन लगाना है जैसे कि आंगन, गार्डन, बालकनी या फिर खिड़की के पास. जगह की उपलब्धता को देखते हुए गमले के आकार का चयन करें. फिर लोकेशन व गमले के साइज को देखते हुए उस में लगाए जाने वाले पौधे का चयन करें. उदाहरण के लिए उस जगह जहां तेज धूप आती हो वहां शेड लविंग पौधे न रखें. इसी तरह बड़े गमले या कंटेनर में बिलकुल छोटे पौधे भी न लगाएं. यदि बाहरी हिस्से में हैंगिंग गार्डन लगा रही हैं, तो इस में कम से कम 10-12 इंच की दूरी बना कर रखें. छोटे साइज के गमले में वाटर होल्ड करने की क्षमता कम होती है, अत: पौधे जल्दी सूख जाते हैं.

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