एक समय था जब घर में किचन को सब से कम महत्त्व दिया जाता था. तब किचन का मतलब एक छोटे से कमरे से होता था, जहां बस जैसेतैसे खाना पक सके. उस में किसी भी तरह के कोई आधुनिक उपकरण नहीं होते थे और न ही किसी तरह की कोई सजावट होती थी. अगर कभी कोई खास पकवान बनाना हो तो घंटों समय लग जाता था.

धीरेधीरे बदलते समय के साथ किचन के रूप में भी बदलाव आने लगा. किचन सिटिंग की जगह स्टैंडिंग होने लगा. इंडियन स्टाइल किचन की जगह आधुनिक कौंसैप्ट ने ले ली और किचन को मौड्यूलर किचन कहा जाने लगा.

इंटीरियर डिजाइनर मनोज पांडेय कहते हैं, ‘‘ये किचन देखने में पहली नजर में भले ही महंगे और शोबाजी वाली चीज लगें पर ये काफी यूजरफ्रैंडली होते हैं. मौड्यूलर किचन को इंस्टौल करना काफी ईजी होता है. इस में काफी ट्रैंडी फिटिंग्स, जैसे किचन कैबिनेट्स, बास्केट्स, कौर्नर ट्रौलीज, शैल्फ्स, स्लाइडिंग ड्राअर्स आदि लगे होते हैं. इन में आप रसोई का सामान, उपकरण वगैरह व्यवस्थित ढंग से रख सकते हैं.’’

आधुनिक उपकरणों से तैयार मौड्यूलर किचन में हर चीज की जगह फिक्स होती है. कोई भी सामान निकालने और काम करने में दिक्कत नहीं होती. रसोई में स्टोरेज की पर्याप्त सुविधा होने की वजह से काफी जगह रहती है क्योंकि सामान कैबिनेट्स और ट्रौलीज के अंदर रखा जाता है. ये गोल, टेढ़ेमेढ़े व त्रिकोणीय सभी प्रकार के किचन में आसानी से फिट हो जाते हैं. नतीजतन, खाना बनाने में समय की भी बचत होती है.

मौड्यूलर किचन को कई अलगअलग वैराइटी, डिजाइन व रंगों में तैयार किया जा सकता है, जैसे कैबिनेट्स को मैटल, वुड, स्टील या ग्लास का बनाया जा सकता है और इन के कलर टिपिकल गे्र, ब्राउन व बेज आदि रखने के बजाय रैड, लीफी ग्रीन, रौयल ब्लू जैसे विकल्पों को चुन कर किचन को अट्रैक्टिव लुक दिया जा सकता है.

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