ओटीटी प्लेटफार्म ‘शेमारू मी बाक्स आफिस’ निरंतर अलग हटकर मनोरंजक फिल्में अपने दर्शकों के लिए परोसता आ रहा है. अब वह नौ अक्टूबर को एक मार्मिक कहानी वाली फिल्म‘‘376 डी’’लेकर आ रहा है. जो भारतीय न्यायपालिका में कुछ चमकती खामियों को उजागर करती है.

धारा ‘‘376 डी’’धारा गैंग रेप की भयावहता से संबंधित है. फिल्म ‘‘376 डी’’ भी ऐसे यौन उत्पीड़न पर चर्चा करती है, जो इससे पहले न सुनी और न ही परदे पर देखा गया है. यह फिल्म दिल्ली के उन दो सगे भाईयों की व्यथा का वर्णन करती हैं, जिनका एक दिन गैंग रेप हो जाता है. और वह न्याय के लिए न्यायपालिका संग कठिन लड़ाई का सामना करते हैं. क्योकि अदालत में पहुंचने के बाद उन्हे पता चलता है कि वह जिस अपराध के श्किार हुए हैं, उसको लेकर कोई कानून नही है. उन्हें जो न्याय मिलना चाहिए, वह नर्वस ड्रैकिंग कोर्टरूम ड्रामा के रूप में मिलता है. इस फिल्म को ‘‘खजुराहो फिल्मोत्सव’ सहित कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में जबरदस्त सराहना मिल चुकी है.

यूं तो रेप को लेकर नब्बे के दशक में फिल्म‘‘दामिनी’’से लेकर अब तक ‘पिंक’सहित कई फिल्में आ चुकी हैं, जिन्हे दर्शकों ने काफी पसंद भी किया. इन फिल्मों में यौन अपराध के कानूनी पहलुओं का चित्रण है. लेकिन फिल्म ‘‘ 376 डी’’की विषय वस्तु दर्शकों के दृष्टिकोण को चुनौती देनेवाला है. इस फिल्म में दर्शक को लिंग के बारे में कुछ असुविधाजनक सत्य का सामना करना पड़ता है. जी हां!यह फिल्म थोड़ी लीक से हटकर है. इसमें रेप की शिकार कोई महिला नहीं, बल्कि एक पुरुष है.

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