दूरदर्शन पर 1990 में एक धारावाहिक प्रसारित होता था ‘मुंगेरीलाल के हसीन सपने.’ मुंगेरीलाल का किरदार निभाया था मशहूर ऐक्टर रघुबीर यादव ने. इस धारावाहिक को मनोहर श्याम जोशी ने लिखा था और निर्देशक थे, प्रकाश झा. मुंगेरीलाल एक ऐसा पात्र था, जो बड़ेबड़े सपने देखता था लेकिन अफसोस कि उस के सपने साकार नहीं होते थे.

आज के किशोर भी मुंगेरीलाल की तरह ही काल्पनिक दुनिया में जीते हैं, वे दुनिया की हर नेमत पा लेना चाहते हैं. सपने देखने में कोई बुराई नहीं है पर केवल सपने देखने से ही कोई चीज प्राप्त नहीं हो जाती, उस के लिए अथक प्रयास भी करने पड़ते हैं, लेकिन इंटरनैट की खोखली दुनिया में जी रहे किशोर यह बात समझने को तैयार नहीं हैं.

राहुल 10वीं कक्षा का छात्र था. उस का सपना बड़े हो कर पायलट बनने का था, क्योंकि उस के पापा भी पायलट थे और वह उन की तरह ही बनना चाहता था. उस के पापा अकसर उस से कहते, ‘‘बेटा, पायलट बनने के लिए बहुत पढ़ाई करनी पड़ती है, अच्छे अंकों से पास होना पड़ता है इसलिए जम कर पढ़ाई किया करो. हरदम मोबाइल पर चैटिंग या लैपटौप पर फेसबुक ही न चलाते रहा करो.’’

 ‘‘पापा, आप भी बस सवेरेसवेरे लैक्चर झाड़ने लग जाते हैं. मुझे सब पता है. अभी ऐग्जाम में काफी समय है, मैं समय पर पढ़ाई कर लूंगा,’’ हमेशा राहुल का यही जवाब होता. हार कर पापा ने राहुल को पढ़ाई के लिए टोकना बंद कर दिया. इस से वह और आजाद हो गया. दिनभर लैपटौप पर दोस्तों के साथ चैटिंग में लगा रहता. बाहर जाता तो मोबाइल पर ही समय बिताता. वार्षिक परीक्षा के लिए बस एक महीना ही बचा था. अब राहुल को पढ़ाई की चिंता सताने लगी, लेकिन जब वह पढ़ने बैठता तो उसे कुछ समझ न आता. व्हाट्सऐप पर आते मैसेज बारबार उस का ध्यान भटकाते. आखिर परीक्षा में वह बैठ तो गया पर रिजल्ट नकारात्मक रहा.

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