30वर्षीय अमित एक कंपनी में प्रोडक्ट मैनेजर हैं. अपने पहले युवावस्था के क्रश की बात करते हुए मुसकरा कर कहते हैं, ‘‘मैं 10वीं क्लास में था. वह मुझ से 1 साल छोटी थी. वह स्कूल की लड़कियों में काफी लोकप्रिय थी और मैं भी उस का प्रशंसक था. आज याद तो नहीं है कि मेरे दिल में उस के लिए इतना आकर्षण क्यों था, मैं उस की एक झलक देखने के लिए भागाभागा स्कूल जाता था. एक डांस कंपीटिशन में मुझे उस के साथ डांस करना था. मैं बहुत ज्यादा खुश था और यह मेरे पहले रोमांस की शुरुआत थी. जैसा कि उस उम्र के रिश्ते टिकते नहीं, हमारा भी रिश्ता जल्द ही खत्म हो गया. मैं तो यही मानता था कि मैं उस से बहुत प्यार करता हूं पर मैं हैरान रह गया जब 1 महीने के अंदर ही मेरे दिल से उस का खयाल निकल गया. मैं तभी समझ सका कि यह इन्फैचुएशन यानी आसक्ति थी.’’

विशेषज्ञों का कहना है कि इन्फैचुएशन

तीव्रता लिए हुए पर थोड़े समय के लिए प्रशंसा के भाव होते हैं. उन्हें क्रश भी कहा जाता है. मनोवैज्ञानिक और काउंसलर अंशू जैन स्पष्ट करते हुए कहती हैं, ‘‘आप को उस व्यक्ति के साथ रहने की तीव्र इच्छा हो सकती है. वह व्यक्ति आप के विचार, आप की नींद, आप की दिनचर्या और खाने की आदतों को भी प्रभावित कर देता है.’’

इन्फैचुएशन ब्रेन कैमिस्ट्री में जगह बना लेता है. जहां पुरुष पतली, स्मार्ट महिलाओं के प्रति आकर्षित हो जाते हैं, वहीं महिलाएं उच्चपदस्थ या उच्चशिक्षित पुरुषों के प्रति आकर्षित हो सकती हैं. आधुनिक रिश्तों में कई बदलाव आए हैं. अंशू का कहना है कि इन्फैचुएशन में कई बार हमें लगता है कि हमें प्यार हो गया है पर ऐसा कुछ नहीं होता. यह आराम से कभी भी खत्म हो सकता है.

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