आज विभा का मन बहुत उदास था. यों तो वह हमेशा खुश रहने का प्रयास करती पर न जाने क्यों कई बार उसे लगता कि आज से 30 साल पहले लिया गया निर्णय सही नहीं था. मां तो बचपन में ही गुजर गई थीं. पिता ने बड़ी धूमधाम से उस का विवाह मुंबई के एक कौंट्रैक्टर से किया था. पहली विदाई के बाद जब पति के साथ मुंबई गई तो मन ही नहीं लगा. मायके में आजादी और अपनी मनमरजी से रहने वाली विभा को पति के घर की जिम्मेदारी वाली जिंदगी रास नहीं आ रही थी. हर दूसरे दिन सामान उठा कर पिता और भाईर् के पास आ जाती. भाईभाभी दोनों सर्विस करते थे, इसलिए उन के बच्चे को संभालने से ले कर सारा काम करती और चैन से रहती.

मुंबई में जहां पति के टाइम के अनुसार काम करने, नातेरिश्तेदारी, घर की जिम्मेदारी निभाने जैसे कार्यों से उसे ऊब होती, वहीं यहां सुबह ही भाईभाभी बैंक चले जाते और पूरे घर पर उस का एकछत्र राज रहता. इसी तरह 2-3 साल निकल गए. फिर एक दिन वह हमेशा के लिए भाई के पास मायके आ कर ही रहने लगी. अब तक पिता भी गुजर चुके थे. पिता की ही तरह भाई ने भी उस से कभी कुछ नहीं कहा और उस दिन से ले कर आज 55 साल की हो गई है भाई का घर ही उस का सब कुछ है और उन के अनुसार चलना ही उस की जिंदगी. परंतु कभीकभी कोई बात अंदर तक कचोट जाती.

कहने को अपना

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...