इनसान की जो कामना पूरी हो जाती है उस के प्रति वह कुछ समय बाद उदासीन सा हो जाता है और दूसरी कामनाओं के पीछे भागने लगता है. आजकल विवाहित जोड़े, विवाह की बात तय होने के बाद एकदूसरे के लिए बहुत ही उतावले रहने लगते हैं, एकसाथ घूमतेफिरते हैं, खातेपीते हैं, भावी जीवन को ले कर बातें करते हैं, एकदूसरे के घर होने वाले आयोजनों में, उत्सवों में साथसाथ नजर आते रहते हैं, एकदूसरे के घर भी रह आते हैं, एकदूसरे का परिचय भी बड़े गर्व से लोगों से करवाते हैं. उस दौरान उन का एकदूसरे के प्रति समर्पण आसमान छू रहा होता है. दोनों को अपनी भावी ससुराल की हर चीज बहुत अच्छी लगती है. अगर कुछ बुरा भी लगता है तो उसे चुनौती समझ कर स्वीकार करते हैं. लेकिन यही कपल विवाह के साल 2 साल बाद एकदूसरे से उदासीन से हो जाते हैं, उकता से जाते हैं. यानी उन के प्रेम का रंग फीका पड़ने लगता है. एकदूसरे की अच्छाइयां बुराइयों में बदलने लगती हैं. जो बातें चैलेंज के रूप में ली थीं, वे जी का जंजाल बन जाती हैं. विवाह के पहले एकदूसरे का जो पहननाओढ़ना मन को बहुत भाता था, विवाह के कुछ समय बाद वही पहनावा फूहड़पन और भद्देपन में बदलने लगता है. एकदूसरे की कमियां गिनातेगिनाते रातें बीत जाती हैं. देखते ही देखते दोनों एकदूसरे से बेजार से हो जाते हैं. अलगअलग शौक पाल कर रास्ते अलगअलग करने लगते हैं. अगर दोनों जौब में होते हैं तो अधिक व्यस्तता का बहाना बना कर एकदूसरे से दूरियां बनाने लगते हैं.

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