क्या आप का बच्चा :

  1.   अपने साथी बच्चों से मारपीट, दांत काटने जैसी हरकतें करता है?
  2.   गुस्से में आप (मातापिता), नौकर, बड़े भाईबहनों से भी मारपीट शुरू कर देता है?
  3.   हर बात में जिदबाजी करता है?

अगर हां, तो उसे तुरंत मनोचिकित्सक के पास ले जाएं.

टेलीविजन पर हिंसात्मक फिल्मों को देख कर बालमन हिंसक हो उठता है.

‘‘कुछ समय पहले एक बच्ची ‘नेहा’ के अभिभावक मेरे पास आए थे. नेहा बेहद हिंसक प्रवृत्ति की थी. पहले वह साथ खेलते बच्चों को पीटती थी बाद में घर के नौकरों, बड़े भाई और मातापिता को भी उस ने मारना शुरू कर दिया. हर बात में जिद करती, कोई उस की बात नहीं सुनता तो दांत काट लेती थी. घर वालों की हरसंभव कोशिश के बाद भी जब नेहा सुधरी नहीं तो किसी की सलाह पर उस के अभिभावक उसे ले कर मेरे पास आए. इतनी छोटी बच्ची से बात करना और उस के मन का हाल समझना मेरे लिए बड़ा मुश्किल था पर मात्र 4-5 सिटिंग में ही मैं ने उसे पूरी तरह ठीक कर दिया और अब नेहा बिलकुल ठीक है,’’ यह बताते हैं विम्हांस के प्रमुख मनोवैज्ञानिक सलाहकार डा. जितेंद्र नागपाल.

बच्चों में पनपती हिंसात्मक प्रवृत्ति के लिए जिम्मेदार कौन है? यह पूछे जाने पर डा. जितेंद्र नागपाल का कहना है, ‘‘हिंसा के लिए तीनचौथाई दोषी मैं उन के मातापिता और पारिवारिक माहौल को मानता हूं. बाकी 25 प्रतिशत फिल्में, टेलीविजन और आप का आतंकवादी माहौल जिम्मेदार है.

‘‘सब से बड़ी बात है कि अभिभावक अपने बच्चों की हिंसात्मक प्रवृत्ति को छिपाते हैं या अपने स्तर पर ही समझाबुझा कर मामला रफादफा करना चाहते हैं. वह यह मानने को कतई तैयार नहीं होते कि उन का बच्चा किसी मानसिक रोग से पीडि़त है और उसे मनोचिकित्सक की सलाह की जरूरत है जबकि बच्चों में पनपती इस हिंसा को रोकने के लिए उन्हें मनोचिकित्सा की जरूरत होती है. दंड देना या जलील करना उन्हें और ज्यादा आक्रामक बना जाता है.

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