पुलिस और पीपल फौर ऐनिमल्स की संगठित टीम ने 2009 में गणेश नामक व्यापारी को शंखों की दुर्लभ प्रजाति के साथ गिरफ्तार किया. पुलिस ने उस के कब्जे से शंखों के 10 बैग बरामद किए. 28 अगस्त, 2009 को वन विभाग, वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट औफ इंडिया और पीपल फौर ऐनिमल्स ने छापा मार कर लाखों रुपए कीमत की सीपियों को जब्त किया, जिन्हें समुद्री इलाकों से ला कर ऋषिकेश और नैनीताल में बेचा जा रहा था. पहले तो सीपियों के व्यापारियों ने छापामार टीम का यह कहते हुए हिंसात्मक विरोध किया कि उन को सीपियों के अवैध होने की जानकारी नहीं थी. पर जैसे ही उन का झूठ उजागर हुआ, उन्होंने सीपियों पर से अपना अधिकार छोड़ दिया. 25 सितंबर, 2009 को दिल्ली के लाहौरी गेट इलाके से पुलिस ने पीपल फौर ऐनिमल्स की सहायता से शंख जब्त किए. इन्हें अंडमान से तस्करी कर के लाया जा रहा था. 22 नवंबर, 2009 को दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित होने वाले व्यापार मेले से दिल्ली वाइल्ड लाइफ डिपार्टमैंट, दिल्ली पुलिस और पीपल फौर ऐनिमल्स की संगठित टीम ने 400 शंख जब्त किए. तमिलनाडु और ओडिशा के स्टाल्स पर काम कर रहे 4 लोगों को इस अवैध कारोबार के लिए गिरफ्तार किया गया. जब्त किए गए सामान में बुल माउथ और हौर्न हैलमेट प्रजाति के शंख भी थे जिन्हें शैड्यूल-ढ्ढ में रखा गया है. शेर की खाल और हाथीदांत की तस्करी भी इसी शैड्यूल में है. इस के अलावा जब्त किए शंखों में स्पाइडर शंख, लिमासीना काउरी, टौप शेल और ट्रैटीजियम शंख भी थे.

पीपल फौर ऐनिमल्स ने इस मामले को गंभीरता से लिया और 28 नवंबर, 2009 को चंडीगढ़ पुलिस के साथ मिल कर शंखों और काउरी शेल्स के साथ 2 दुकानदारों सुरिंदर जैन और मदन सिंह को गिरफ्तार किया. इन्हें वाइल्ड लाइफ प्रोटैक्शन ऐक्ट की धाराओं 9, 39, 44, 50 और 51 के तहत गिरफ्तार किया गया, जिस में 3 से 7 साल तक की सजा के साथसाथ

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