16 दिसंबर, 2012 को दिल्ली में हुए गैंग रेप के अपराधियों के इंटरव्यू सरकार और देश के लिए कड़वी गोली बन गए हैं. एक ब्रिटिश डौक्यूमैंट्री फिल्म निर्माता लेसली उडविन ने इस रेप के अपराधी मुकेश का जेल में इंटरव्यू लिया और उस में उस ने बड़ी बेवाकी से कहा कि दोषी तो लड़की है, जो रात को देर तक घूमफिर रही थी. उस ने कहा कि अगर वह विरोध न करती तो रेप करने के बाद  उसे बस से फेंक दिया जाता और वह बच जाती. उस का दावा है कि यदि उसे मौत की सजा मिली तो आगे रेप करने वाले हर मामले में लड़की की हत्या ही कर डालेंगे, क्योंकि रेप और हत्या दोनों में सजा एक सी है.

इस डौक्यूमैंट्री में अन्य कई बलात्कारियों के इंटरव्यू हैं और ज्यादातर लड़कियों को दोष देते हैं कि वे हैं तो उन का रेप किया जाएगा. वे घर में बंद रहें, हंसेंबोलें नहीं, ऊपर से नीचे तक ढकी रहें तभी सुरक्षित हैं, यानी उन्होंने पोलखोल की कि इन हिंदूइसलामी धर्मों से ओतप्रोत समाज अपने मर्दों को यह पाठ भी नहीं पढ़ा सकता कि औरतों से कैसे पेश आए. हमारा समाज औरतों को ही गुनहगार मानता है और मर्दों को छेड़ने, छूने, गालियां देने, अश्लील इशारे करने की ही नहीं बलात्कार करने की भी इजाजत देता है. इजाजत शब्द तो गलत है. जितना इस डौक्यूमैंट्री के बारे में जानने को मिला है उस से तो लगता है कि अपराधी इसे फंडामैंटल राइट मानते हैं.

यह शर्मनाक है पर इस से ज्यादा शर्मनाक गृहमंत्री राजनाथ सिंह से ले कर जेलर व अदालत तक का व्यवहार है, जो अपराधियों की मनोवृत्ति को छिपाए रखना चाहते हैं ताकि देश और समाज के खोखलेपन की पोल न खुले. यह जगजाहिर न हो कि इस देश में औरतों का वजूद गायों और बकरियों सा है, जिन्हें पूजा जाता है पर फिर दुत्कारा जाता है, भूखा रखा जाता है, काट दिया जाता है. हमारे समाज के लिए औरतें जानवरों की तरह मर्दों की सेवा के लिए बनी हैं और सेवा न कर पाएं तो उन्हें मार तक डालने में कोई हरज नहीं. गृह मंत्रालय अब अपराधियों की घृणित मानसिकता का वैसे मुकाबला करने पर रातदिन एक नहीं कर रहा, उस की चिंता है कि लेसली उडविन ने डौक्यूमैंट्री जेल में कैसे बना ली, किस ने, किन शर्तों पर अनुमति दी. गृह मंत्रालय इस डौक्यूमैंट्री को दबाने की कोशिश कर रहा है. यह वैसा ही है जैसे नरेंद्र मोदी की स्वच्छ भारत योजना के जवाब में कहा जाए कि साहब गंदे इलाकों में बाहरी लोगों के जाने पर पाबंदी लगा दी जाए और कम्यूनिस्ट देशों की तरह उन्हें केवल अच्छेअच्छे के दर्शन कराए जाएं.

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