छेड़खानी की शिकायत करने पर दिल्ली में एक लड़की की दिन की रोशनी में सरेआम एक लड़के द्वारा हत्या कर दी गई. इस तरह का मामला कोई पहली बार नहीं हुआ है जब लड़की की शिकायत पर उसे या उस के घर वालों को धमकाया या मारापीटा गया हो. देश भर में इस तरह के मामले रोज होते हैं पर हत्या की हद कभीकभार ही पार होती है. इस मामले में दिल्ली के निम्नवर्गीय इलाके में एक 19 वर्ष की लड़की की 22 वर्ष के लड़के ने इसलिए छुरे से हत्या कर दी, क्योंकि 2 साल पहले लड़की ने लड़के द्वारा छेड़खानी करने की शिकायत की थी और लड़के को जेल में रहना पड़ा था. जेल में सुधरने के बजाय वह और ज्यादा अपराधीमन का बन गया और उस ने मौका देख कर बिना अंजाम की परवाह किए लड़की पर हमला कर दिया.

और ज्यादा दुख की बात तो यह है कि जब लड़का छुरे से वार कर रहा था तब लड़के की मां और भाई ने लड़की को पकड़ रखा था. इस मामले में अब क्या होगा? शायद जेल की सीखचों के पीछे रह कर अपराधी ने यह जान लिया. अब उस की धमकियों के कारण गवाह अदालत में मुकर जाएंगे. मुकदमा चलेगा. लड़का 2-3 साल जेल में रहेगा पर फिर जमानत पर छूट जाएगा. 4-5 साल बाद जब पहली अदालत का फैसला आएगा तब तक लड़की के घर वालों का गुस्सा शांत हो चुका होगा और वे बजाय कानून के जरीए न्याय मांगने के अपने बचाव में लगे होंगे.

सरकारी वकील, जो अपराधी के खिलाफ पैरवी करते हैं आमतौर पर केवल खानापूरी करते हैं. उन्हें न मरने वाले के प्रति सहानुभूति होती है और न ही अपराधी के प्रति गुस्सा. वे रोज दसियों ऐसे मामले देखते हैं. उन की रुचि तारीखें लेने में ज्यादा होती है. छेड़खानी के खिलाफ कानून है पर यदि अपराधी दिलेर है और घर वाले चिंता न करने वाले तो उस का बहुत कम बिगड़ेगा. पुलिस को अपना मेहनताना मिला तो वह उस हत्या को दुर्घटना बना सकती है. मुकदमे के दौरान लड़की के चरित्र पर भी छींटे उछाले जा सकते हैं. इस मामले में नेताओं से तो कुछ होगा ही नहीं. पीडि़ता से हमदर्दी का तो सवाल ही नहीं उठता है. 

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