केरल के कोझिकोड जिला अस्पताल में भरती 19 वर्षीय एक दलित छात्रा अस्वथी के.पी. अगर बच भी गई तो उस के लिए जिंदगी शायद मौत से ज्यादा बदतर होगी, क्योंकि उस की 5 सीनियर्स ने उसे टौयलेट साफ करने वाला कीटनाशक पीने को मजबूर कर दिया था.

कर्नाटक के गुलबर्गी जिले के कालेज अल उमर कालेज औफ नर्सिंग में दाखिला लेने वाली अधिकांश छात्राएं केरल की होती हैं, जो देश भर में नर्सें देने के लिए जाना जाता है. करीब 5 महीने पहले अस्वथी ने बड़े उत्साह से इस कालेज में प्रवेश लिया था. पर उस के साथ रैगिंग के नाम पर जो हुआ वह एक दिल दहला देने वाला हादसा है.

9 मई, 2016 को हुए इस हादसे की एफ.आई.आर. 22 जून, 2016 को कोझिकोड में दर्ज की गई तो सहज समझा जा सकता है कि इस हादसे में कितनी लापरवाही बरती गई. उजागर यह भी हुआ कि रैगिंग संबंधी कानून कितने कमजोर हैं. 9 मई को अस्वथी को उस के सीनियर्स ने होस्टल में फिनाइल पीने को मजबूर किया कि जाओ और उसे पी कर मर जाओ.

बकौल अस्वथी उस ने भागने की कोशिश की पर सीनियर्स ने उसे दोबारा पकड़ कर फिनाइल पीने को मजबूर कर दिया. फिनाइल पीने के बाद वह गिर गई तो उस की दोस्तों ने इलाज के लिए उसे अस्पताल में भरती कराया जहां बजाय सुधरने के उस की हालत और बिगड़ी तो उसे उस के गृह राज्य केरल भेज दिया गया.

डाक्टरों के मुताबिक अस्वथी के आंतरिक अंग जल गए हैं और उसे एक बड़ी सर्जरी की जरूरत है, क्योंकि कैमिकल्स ने उस की आहार नली को गंभीर रूप से क्षतिगस्त कर दिया है. कैमिकल ने उस के गले और पेट के बीच का हिस्सा भी जला दिया है. उसे ठीक होने में 4 महीने लग जाएंगे. पर ऐसे मामलों में मरीज ठीक होता भी है तो कहने भर को. जिंदगी भर उस के तमाम अंग ठीक नहीं होते.

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