वन्यजीव फोटोग्राफी में आमतौर पर कैरियर बनाने को ले कर महिलाएं हिचकती हैं पर अपर्णा पुरुषोत्तमन ने न सिर्फ वन्यजीव फोटोग्राफी में अपनी अलग पहचान बनाई है, इस क्षेत्र के लिए वे एक जानामाना नाम भी बन गई हैं.

केरल की अपर्णा पुरुषोत्तमन की वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर बनने की कहानी काफी दिलचस्प है. इस प्रोफैशन में कम समय में ही अपर्णा ने एक अलग ही पहचान बना ली है.

अपर्णा का यह पैशन जान कर पति अशोक ने उन्हें खूब प्रोत्साहित किया है. रैड लिस्ट में शामिल संकटग्रस्त वन्यजीव को अपने कैमरे में उतार कर इस वन्य जीव फोटोग्राफर ने बायोलौजिस्ट एवं शोध करने वाले वैज्ञानिकों को सचमुच ही चौंका दिया है. अध्यापक, रिसर्च स्कौलर व ऐक्टीविस्ट अपर्णा के साथ वन की यात्रा करते हैं. उन के कैमरे के फ्रेम में कैद चित्र जंगल के दृश्य से भी ज्यादा खूबसूरत दिखाई पड़ते हैं.

अपर्णा कहती हैं, ‘‘मैं सचमुच प्रकृतिप्रेमी हूं, शायद इसलिए ये तसवीरें भी खूबसूरत दिखती होंगी. मैं इस सोच के साथ वन नहीं जाती कि किन्हीं खास दृश्यों को कैमरे में कैद करना है. पक्षी एवं जानवरों को आमनेसामने देखने का मौका मिलता है, तो उन्हें पहले जिज्ञासा से कुछ देर देखती हूं फिर चुपचाप उन की फोटो खींच लेती हूं. क्योंकि हम उन के घर में जबरदस्ती घुसते हैं, इसलिए मैं उन्हें बिना सताए काम करना अपना फर्ज समझती हूं.’’

कैसे आईं इस क्षेत्र में

वन्यजीव फोटोग्राफी के क्षेत्र में कैसे आईं? इस सवाल के जवाब में अपर्णा बताती हैं कि शादी के बाद ही इसे प्रोफैशन बनाया. कुछ साल पहले विदेश से एक मित्र घर आए तो उन के कैमरे से मैं ने कुछ पंछियों के फोटो खींचे. यह मैं ने कुतूहलतावश किया था. पर उन्होंने इन फोटो की बहुत प्रशंसा की. इतना ही नहीं, उन्होंने वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी के बारे में बहुत कुछ बताया. उन्होंने प्रमुख वन्यजीव फोटोग्राफर राधिका रामास्वामी का एक लिंक भी मुझे भेज दिया. इस में अधिकतर विभिन्न प्रकार के पक्षियों की तसवीरें थीं. फिर मैं ने इन से संबंधित लेख ढूंढ़ कर पढ़े और फिर नौकरी छोड़ कर वन्यजीव फोटोग्राफर बन गई. बचपन से ही जीवजंतु मुझे बहुत अच्छे लगते हैं. इन्हें घायल देख कर मेरा मन बेहद दुखी होता था. दुर्घटना से घायल जानवरों को मैं अस्पताल तक ले जाने में जरा भी वक्त जाया नहीं करती थी.

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