कभी पढ़ाई के चलते तो कभी नौकरी के कारण आजकल लड़कियां अपने शहर, परिवार से दूर दूसरे शहर में रहती हैं. ऐसे में जब वे हौस्टल या पीजी में किसी दूसरी लड़की के साथ रूम शेयर करती हैं, तो अपने साथसाथ उन्हें उस की परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है. तब कुछ लड़कियों को लगता है कि उन की जिंदगी में तो बिना बात की टैंशन आ गई है.

‘‘मेरी रूममेट को हर दिन कोई नई प्रौब्लम, कोई नई बीमारी होती है. मुझे तो समझ में नहीं आता कि मैं यहां अपने लिए आई हूं या उस की सेवा करने के लिए.’’ यह कहना है एक परेशान लड़की का.

ऐसे में कुछ लड़कियां मदद करने से बचने के लिए खुद की बीमारी का बहाना बनाने लगती हैं तो कुछ रात में जागते हुए भी सोने का नाटक करती हैं. कुछ तो ऐसी भी होती हैं जिन की रूममेट बीमार है तो क्या हुआ वे अपना प्लान कैंसिल नहीं करतीं. कुछ साथ में तो रहती हैं पर उन के बीच नहीं बनती. वे न तो एकदूसरे से बात करती हैं और न ही एकदूसरे की मदद करती हैं.

सपना हरियाणा के एक छोटे शहर रेवाड़ी की है और पिछले 2 सालों से दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रही है. सपना की रूममेट कुछ ऐसी ही है. सपना के साथ एक कमरे में रहते हुए भी बहुत कम बात करती है. उस के बीमार पड़ने पर भी मदद के लिए आगे नहीं आती.

सपना बताती है, ‘‘एक बार मेरी तबीयत अचानक खराब हो गई. मुझे चक्कर आ रहा था. मैं इस हालत में नहीं थी कि अकेले डाक्टर के पास जा पाऊं. मैं ने अपनी रूममेट से कहा तो उस ने यह कह कर मना कर दिया कि आज मेरी एक फ्रैंड का बर्थडे है. मैं अभी उस की पार्टी में जा रही हूं. वापस आ कर तुम्हारे साथ चल सकूंगी. उस वक्त मुझे लग रहा था कि ऐसी रूममेट के साथ रहने का फायदा क्या है, जब वह मेरी मदद नहीं कर सकती? मेरी प्रौब्लम को तो वह अपने लिए आफत समझती है.’’

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