अकसर हम इस बात पर अफसोस जाहिर करते हैं या फिर प्रशासन को कोसते हैं कि हमारे आसपास हरियाली घटती जा रही है अथवा पेड़ सूखते जा रहे हैं. मगर सिर्फ अफसोस जाहिर करने या प्रशासन को कोसने से बात नहीं बनती.

14 महिलाओं के स्वयंसेवी ग्रुप ‘रास्ता छाप’ की सदस्याएं कालेज के समय से एकदूसरे से परिचित थीं और पेंटिंग में रुचि रखती थीं. इन्होंने अपनी कला के जरीए लोगों को जागरूक करने का एक नायाब तरीका निकाला. इन्होंने सूखे पेड़ों पर पेंटिंग करनी शुरू की ताकि इन की उपयोगिता व खूबसूरती बढ़ जाए और इन लोगों का ध्यान बरबस ही इन की तरफ जाए.

इस ग्रुप की सदस्या प्रिया भीमानी बताती हैं, ‘‘हमारा मकसद पेड़ों को प्रिजर्व, प्रोटैक्ट व प्लांट करना है ताकि पर्यावरणीय संतुलन कायम रखने के प्रयास में हम अपना सहयोग दे सकें और लोगों को भी इस के लिए प्रेरित कर सकें. हम पेड़ों के सूखने की वजहों को समझ उन्हें दूर कर इन्हें फलनेफूलने का मौका देना चाहते हैं.

‘‘डैड ट्री पर पेंट करना एक तरह से फील गुड माहौल तैयार करता है और संबंधित इलाका भी खूबसूरत दिखने लगता है.

‘‘करीब डेढ़ साल पहले शुरू हुई इस मुहिम के तहत हम ने मुंबई के जुहू, बांद्रा, वर्सोवा व खार के आसपास के इलाकों में अपने कार्य को अंजाम दिया. धीरेधीरे हमारे प्रयासों को लागों का सहयोग मिलने लगा. स्वयं सहायता समूह व सैलिब्रिटीज भी इस कार्य में सपोर्ट में आगे आए. हमें मीडिया का अटैंशन भी मिलने लगा. ग्रुप की सदस्य नीलू विर्क कहती हैं कि पेंटिंग मुख्य रूप से समस्या के प्रति लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए शुरु की गई. अब हम मुंबई के जुहू इलाके में 4 सौ पेड़ लगाकर उन की देखभाल कर रहे हैं. हम लोगों को अधिक से अधिक प्लांटेशन व ट्री अडौप्ट करने को प्रेरित करते हैं. 1 डैड ट्री के बदले में 2 नए प्लांट लगाने जरूरी हैं.’’

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