नालंदा ओपेन यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर रास बिहारी प्रसाद सिंह का मानना है कि ऐजुकेशन सिस्टम को सुधारने के लिए सब से पहले शिक्षकों को सुधारना जरूरी है. शिक्षकों पर सख्ती और निगरानी हो और शिक्षकों की बहाली के मामले में क्वालिटी से कोई समझौता न किया जाए. शिक्षकों की नकेल कसने के बाद ही शिक्षा में सुधार की बात की जानी चाहिए. साथ ही वे यह भी कहते हैं कि शिक्षा में रिजर्वेशन की समयसमय पर समीक्षा होनी जरूरी है. इस का फायदा लेने वालों ने ऐसा जाल बुन रखा है कि कई जरूरतमंदों को इस का फायदा नहीं मिल पा रहा है. पेश हैं उन से हुई बातचीत के मुख्य अंश:

शिक्षा में सुधार की बात तो हर कोई करता है. इस के बाद भी इस में लगातार गिरावट ही आ रही है. आप की राय में सरकारी शिक्षा में सुधार कैसे मुमकिन है?

देखिए इस के लिए सब से जरूरी है शिक्षकों की नकेल कसना और अच्छे शिक्षकों को बहाल करना. हर सरकार शिक्षकों के आगे भीगी बिल्ली बनी रहती है. हर सरकार शिक्षकों के आंदोलन और भारी विरोध होने के खौफ से इस काम को नामुमकिन समझ कर टालती रही है. लेकिन सरकार चाहे तो यह काम आसानी से कर सकती है. जब तक पढ़ाने वाले ही अच्छे और सीरियस नहीं होंगे तो पढ़ने वाले कैसे सीरियस होंगे? लेकिन सवाल वही है कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे?

सरकार शिक्षा पर करोड़ों खर्च करती है, इस के बाद भी स्कूलों और कालेजों की हालत बदतर क्यों बनी रहती है?

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