गरमियों में पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में बसे आइसलैंड, नौर्वे, ग्रीनलैंड, स्वीडन, फिनलैंड, रूस इत्यादि देशों में रात के 12 बजे भी सूर्य अपनी चमक बिखेरता नजर आता है. इसलिए इन देशों को अर्द्धरात्रि के सूर्य वाले देश भी कहा जाता है.

चूंकि पृथ्वी अपनी धुरी पर 23.5 डिग्री झुकी है और इसी झुकाव के साथ जब वह गरमियों में अपनी धुरी पर चक्कर लगाते समय सूर्य की परिक्रमा करती है तब पृथ्वी का ऊपरी हिस्सा दिनरात सूर्य के सामने ही रहता है जिस से रात 12 बजे भी वहां सूर्य अस्त नहीं होता जबकि सर्दियों में इस के विपरीत होता है. जब पृथ्वी इसी झुकाव के साथ सूर्य से दूसरी ओर अपनी धुरी पर चक्कर लगाते हुए पहुंच जाती है तब पृथ्वी का ऊपरी हिस्सा दिनरात सूर्य के सामने नहीं रहता, जिस से सर्दियों में उत्तरी गोलार्ध में बसे इन देशों में 6 महीने रात रहती है. इस तरह उत्तरी ध्रुव में वर्ष में एक बार ही सूर्य उगता है और एक बार ही डूबता है. दक्षिणी गोलार्ध में इसी समय ठीक इस के विपरीत होता है.

प्रकृति के इस अद्भुत खेल को देखने की मेरी इच्छा बचपन से ही रही है. कैसा लगता होगा जब रात के 12 बजे भी सूर्य आसमान पर अपनी रोशनी बिखेरे रखता है? मुझे उत्तरी ध्रुव के आखिरी छोर पर बसे इन देशों में जाने का अवसर तो नहीं मिल पाया, लेकिन अभी हाल ही में, गरमियों के मौसम मईजून में मुझे बालटिक समुद्र के किनारे बसे यूरोप के एक देश लिथुआनिआ जाने का अवसर मिला. चूंकि यह देश भी उत्तरी गोलार्ध के अंतर्गत आता है अत: मुझे यहां भी अर्द्धरात्रि के सूर्य के दृश्य के साथसाथ अन्य कईर् अद्भुत दृश्य देखने को मिले. शाम साढ़े 9-10 बजे यहां सूर्य ऐसी धूप ऐसे बिखेर रहा था जैसे भारत में दोपहर 2 ढाई बजे तेज धूप निकली होती है.

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