एक अबोध सी युवती ने हाल ही में एक समस्या भेजी कि उसे एक सहेली के साथ चुंबन करने में आनंद मिलता है. इस से कुछ होगा तो नहीं?

वैज्ञानिक कहते हैं कि चुंबन से बहुत कुछ होता है. चुंबन असल में रिश्तों को पक्का करते हैं और अगर पहला चुंबन अच्छा न रहे तो 60% पुरुष और 59% महिलाएं रिश्तों को आगे नहीं बढ़ातीं.

इस की वजह यह है कि शरीर के संवेदनशील हिस्सों में होंठ सब से ज्यादा संवेदन पाने के लिए सक्षम होते हैं. चुंबन से ही पता चल जाता है कि दूसरा मित्र है या दुश्मन. चुंबन होते ही शरीर के कैमिकल काम करना शुरू कर देते हैं. चुंबन होते ही होंठों में मौजूद स्पर्श ग्रंथियां संदेश देने लगती हैं और प्रेम के औक्सीटौसिन हारमोन कैमिकल को बनाना शुरू कर देती हैं. दिल की धड़कन बढ़ जाती है, तनाव कम हो जाता है, शरीर सुरक्षित महसूस करने लगता है, खून की नसें आराम से काम करना शुरू कर देती हैं, गाल लाल हो जाते हैं और नसें फड़फड़ाने लगती हैं.

इसी को तो प्रेम कहते हैं, जो 2 लड़कियों में हो सकता है, 2 लड़कों में हो सकता है, मांबच्चों में हो सकता है और प्रेमीप्रेमिका में तो होता ही है. इस पर न तो किसी तरह का ऐतराज होना चाहिए और न ही बंदिशें. कई समाज इस प्रकार के चुंबन को खुले में करने में हिचकिचाते हैं, जो गलत है. चुंबन प्रेम और सैक्स की शुरुआत हो सकता है पर यह शुभ शुरुआत है और इस पर किसी भी तरह की रोकटोक है, तो इस का अर्थ है कि समाज खुद पर ही भरोसा नहीं करता और उसे नागरिकों के विवेक पर संदेह है. जो समाज खुद पर भरोसा नहीं करता वह कमजोर होता है, जानवरों की तरह होता है. वह एक हो कर शत्रुओं से रक्षा नहीं कर सकता, न ही वह प्रकृति से जूझ सकता. उस के लिए प्रेम, सैक्स, बच्चे सुख नहीं, शारीरिक जरूरत के कारण मिला दंड हैं. ऐसा असंतुष्ट समाज हमेशा तनाव में रहता है और सदा खुद से लड़ता रहता है.

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