जब से व्हाट्सऐप नामक तकनीकी भूचाल ने हमारी जिंदगी में प्रवेश किया है, तब से हमारी जिंदगी का स्वरूप ही बदल गया है. पुरुष हो या महिला, बुजुर्ग हों या बच्चे, सभी के हाथ में स्मार्टफोन हैं. सभी व्यस्त हैं अपनेआप में व्हाट्सऐप के माध्यम से. जहां एक तरफ व्हाट्सऐप ने हमारे लिए जीवन में अत्यंत सुगमता और खुशियां भर दी हैं वहीं उस की ही वजह से जिंदगी में अनेक तरह के तनाव भी उत्पन्न हो रहे हैं.  ये तनाव एक साइलैंट किलर की तरह हमारे स्वास्थ्य को खा रहे हैं जिस का एहसास हमें होता तो है पर अपने इस तनाव की चर्चा हम किसी से कर नहीं सकते. चर्चा करने पर हंसी के पात्र बनने की संभावना होती है, क्योंकि व्हाट्सऐप से उपजा तनाव होता ही है कुछ अलग तरह का.

व्हाट्सऐप से उत्पन्न होने वाले तनाव देखनेसुनने में तो बहुत मामूली लगते हैं पर जिन लोगों ने व्हाट्सऐप को अपनी दिनचर्या का अहम हिस्सा बना रखा है, निश्चितरूप से ये छोटीछोटी बातें उन के दिलोदिमाग पर दिनरात हावी हो कर न केवल उन की दिनचर्या को प्रभावित करती हैं, बल्कि उन के मानसिक स्वास्थ्य और दैनिक व्यवहार को भी प्रभावित करती हैं.

जवाब का इंतजार

जब भी लोग व्हाट्सऐप पर कोई मैसेज भेजते हैं तो भेजने के तुरंत बाद से ही दिमाग यह जानने को उत्सुक हो उठता है कि मैसेज डिलीवर हुआ या नहीं और उस के तुरंत बाद से मैसेज के जवाब या उस पर आने वाले कमैंट्स के इंतजार में दिमाग उलझ जाता है. हर मिनट 2 मिनट पर व्हाट्सऐप औन कर के जवाब चैक किया जाता है.  अगर भेजे गए मैसेज का जवाब आशा के अनुरूप तुरंत आ गया तब तो ठीक है, किंतु यदि जवाब आने में देर हुई या किसी वजह से 1-2 दिनों तक नहीं आया तब तो तनाव का माप अत्यंत बढ़ जाता है. जैसा कि इंसान का स्वभाव होता है उस के दिमाग में गलत और खराब खयाल ही जल्दी आते हैं और वह बजाय यह सोचने के कि हो सकता है मैसेज पढ़ने वाला किसी वजह से अत्यंत व्यस्त या परेशान हो जिस की वजह से मैसेज का जवाब नहीं दे पाया, वह यह सोचने लगता है कि कहीं वह नाराज तो नहीं है, कहीं वह जानबूझ कर उपेक्षा तो नहीं कर रहा है या कहीं ऐसा तो नहीं कि मैसेज का जवाब न दे कर वह नीचा दिखाना चाहता है.

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