महाराष्ट्र में आये दिन किसानों की आत्महत्या की घटनाएं होती रहती है, न जाने कितने ही घर इस तरह उजड़ चुके हैं, जहां उनकी औरतें और बच्चे भूखे मरने के लिए विवश है. ऐसी ही परेशानी से निजात पाने के लिए महाराष्ट्र के मराठवाड़ा के उस्मानाबाद जिले के हिंगलाज वाड़ी की महिलाओं ने जब कुछ करने की ठानी, तो पूरा गांव ही ‘नो सुसाइड जोन’ में परिवर्तित हो गया. ये काम आसान नहीं था. करीब 3 साल की मेहनत से इन महिलाओं ने कम पानी में ऑरगेनिक खेती और पशुपालन को अपनाकर करोड़ों कमाने वाला एक मात्र गांव बन चुका है. 3000 जनसंख्या वाले इस गांव की महिलाओं ने अपनी समझदारी और सूझबूझ से इसे कर दिखाया है, जिसमें साथ दिया है ‘सेल्फ हेल्प ग्रुप’ की सदस्यों ने.

इस बारे में उस्मानाबाद की महाराष्ट्र ग्रामीण विकास विभाग की जिला समन्वयक गंगा सर्गिहाल्ली बताती है कि महाराष्ट्र में 34 जिले इस तरह की समस्या से जूझ रहे हैं, जिसमें 10 जिले और उसके 36 तालुका सबसे अधिक प्रभावित हैं. साल 2013 में ‘सेल्फ हेल्प ग्रुप’ की महिलाओं ने पूरे गांव में दौरा कर पाया कि यहां सबसे अधिक गरीबी है, वजह पानी की कमी होने से वहां के किसानों का सही तरह से अन्न उत्पादन न कर पाना, जिससे वे कर्जा चुकाने में असमर्थ होते ही आत्महत्या कर लेते थे.

ऐसी गरीब महिलाओं को इकठ्ठा कर उन्हें ऑरगेनिक खेती का प्रशिक्षण दिया गया. 15 दिन की इस ट्रेनिंग में एक्सपर्ट बीजों को रखना, खाद बनाना, उन्हें खेतों में रोपना, फसल तैयार करना और बाजार तक लाने की सारी प्रक्रिया को सिखाने लगे. ऐसी खेती का मुख्य उद्देश्य था, कम पानी में अधिक फसल उगाना. किसानी के लिए कृषि सखी और पशुपालन के लिए पशु सखी बनाया गया, जो उन महिलाओं को पैसे देने के बाद उनके सही उपयोग के बारे में पताकर उन्हें हर तरह से सहायता करती है.

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