कई महीनों से आप अपने सामने के फ्लैट पर ‘फौर सेल’ का बोर्ड देख रही थीं और आज अचानक उस पर ‘सोल्ड’ का बोर्ड देखा, तो सब से पहले मन में यही खयाल आया होगा कि इसे किस ने खरीदा और कौन हमारा पड़ोसी बनने आ रहा है? नए पड़ोसी के आने से मन में वैसी ही खुशी होती है जैसी मनपसंद कार गिफ्ट में मिलने पर. पड़ोसियों से मधुर संबंध सभ्य समाज की निशानी होता है. हम दोस्त तो नए बना सकते हैं, मगर पड़ोसी बदलना हमारे बस में नहीं होता. प्रधानमंत्री की कुरसी संभालने के बाद से नरेंद्र मोदी भी पड़ोसियों से संबंध बेहतर करने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं. दुनिया भर के देशों में दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे हैं. फिर हमें अपनी यानी भारतीय संस्कृति भी यही सिखाती है कि हमें अपने पड़ोसियों से अच्छे रिश्ते बना कर रखने चाहिए, क्योंकि एक अच्छा पड़ोसी 10 रिश्तेदारों के बराबर होता है.

आइए, जानते हैं नए पड़ोसियों से संबंधों की शुरुआत की कहानी कहां से लिखी जा सकती है:

कौन है नया पड़ोसी

सब से पहले यह जानकारी हासिल करें कि आप का नया पड़ोसी कौन है? कोई बच्चों वाली फैमिली है, वृद्ध दंपती हैं, सिंगल पर्सन है या फिर नयानवेला जोड़ा है. इस बात की जानकारी लेने से आप को यह समझने में आसानी होगी कि आप के नए पड़ोसी को नए घर में शिफ्ट होने पर सब से पहले किस चीज की जरूरत पड़ सकती है. नए पड़ोसी को वैल्कम करने को ले कर टीवी पर आप ने एक ऐड जरूर देखा होगा, जिस में एक वृद्ध दंपती अपनी गाड़ी में सामान ले कर आते हैं और बिल्डिंग के सारे लोग एकदूसरे को उन के फोटो मैसेज कर सामान शिफ्ट करने में उन की मदद करते हैं. अगर यह सच हो तो उस वृद्ध दंपती के लिए नए घर का अनुभव कितना सुखद हो सकता है, यह आप सोच भी नहीं सकते हैं.

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