मोबाइल फोन ने तो सुरेखा की दुनिया ही बदल दी है. बेटी से बात भी हो जाती है और अमेरिका दर्शन भी घर बैठेबिठाए हो जाता है. अमेरिका में क्या होता है, सुरेखा को पूरी खबर रहती है. मोबाइल के कारण आसपड़ोस में धाक भी जम गई कि अमेरिका की ताजा से ताजा जानकारी सुरेखा के पास होती है.

सर्दी का दिन था. कुहरा छाया हुआ था. खिड़की से बाहर देख कर ही शरीर में सर्दी की एक झुरझुरी सी तैर जाती थी. अभी थोड़ी देर पहले ही शालिनी से बात हुई थी.

शालिनी 2 महीने बाद छुट्टियों में भारत आ रही है. कुरसी खींच कर आंखें मूंद प्रसन्न मुद्रा में सुरेखा शालिनी के बारे में सोच रही थी. कितनी चहक रही थी भारत में आने के नाम से. अपनों से मिलने के लिए, मोबाइल पर मिलना एक अलग बात है. साक्षात अपनों से मिलने की बात ही कुछ और होती है.

विवाह के 5 वर्षों बाद शालिनी परिवार से मिलने भारत आएगी. 5 वर्षों  में काफीकुछ बदल गया है. शालिनी भारत से गई अकेली थी, वापस 2 बच्चों के साथ आ रही है.

परदेस की अपनी मजबूरी होती है. सुखदुख खुद अकेले ही सहना पड़ता है. इतने दिनों में बहुतकुछ बदल गया है. छोटे भाई की शादी हो गई. उस के भी 2 बच्चे हो गए. बड़े भाई का एक बच्चा था, एक और हो गया. नानी गुजर गईं. जिस मकान में रहती थी उस को बेच कर दिल्ली में आशियाना बना लिया. पापा बीमार चल रहे हैं. दुकान अब दोनों भाई चलाते हैं. पापा तो कभीकभार ही दुकान पर जाते हैं.

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