बाइक ‘साउथ सिटी’ मौल के सामने आ कर रुकी तो एक पल के लिए दोनों के बदन में रोमांच से गुदगुदी हुई. मौल का सम्मोहित कर देने वाला विराट प्रवेशद्वार. द्वार के दोनों ओर जटायु के विशाल डैनों की मानिंद दूर तक फैली चारदीवारी. चारदीवारी पर फ्रेस्को शैली के भित्तिचित्र. राष्ट्रीयअंतर्राष्ट्रीय उत्पादों की नुमाइश करते बड़ेबड़े आदमकद होर्डिंग्स और विंडो शोकेस. सबकुछ इतना अचरजकारी कि देख कर आंखें बरबस फटी की फटी रह जाएं.

भीतर बड़ा सा वृत्ताकार आंगन. आंगन के चारों ओर भव्यता की सारी सीमाओं को लांघते बड़ेबड़े शोरूम. बीच में थोड़ीथोड़ी दूर पर आगतों को मासूमियत के संग अपनी हथेलियों पर ले कर ऊपर की मनचाही मंजिलों तक ले जाने के लिए तत्पर एस्केलेटर.

‘‘कैसा लग रहा है, जेन?’’ नाम तो संजना था, पर हर्ष उसे प्यार से जेन पुकारता. शादी के पहले संजना मायके में ‘संजू’ थी. शादी के बाद हर्ष उसे बांहों में भरते हुए ठुनका था, ‘संजू कैसा देहाती शब्द लगता है. ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में सबकुछ ग्लोबल होना चाहिए, नाम भी. इसलिए आज से मैं तुम्हें जेन कहूंगा, माय जेन फोंडा.’

‘‘अद्भुत,’’ संजना के होंठों की लिपस्टिक में गर्वीली ठनक घुल गई. चेहरा ओस में नहाए गुलाब सा खिल गया, ‘‘लगता है, पेरिस का मिनी संस्करण ही उतर आया हो यहां.’’

‘‘एक बात जान लो. यहां हर चीज की कीमत बाहर के स्टोरों की तुलना में दोगुनी मिलेगी,’’ हर्ष चहका.

संजना खिलखिला कर हंस पड़ी तो लगा जैसे छोटीछोटी घंटियां खनखना उठी हों. होंठों की फांक के भीतर करीने से जड़े मोतियों से दांत चमक उठे. वह शरारत से आंखें नचाती बोली, ‘‘कुछ हद तक बेशक सही है तुम्हारी बात. पर जनाब, इस तरह के मौल में खरीदारी का रोमांच ही कुछ और है. इस रोमांच को हासिल करने के लिए थोड़ा त्याग भी करना पड़ जाए तो सौदा बुरा नहीं.’’

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