हमारे एक बुजुर्ग थे. वे अकसर हमें समझाया करते थे कि जीवन में किसी न किसी नियम का पालन इंसान को अवश्य करना चाहिए. कोई भी नियम, कोई भी उसूल, जैसे कि मैं झूठ नहीं बोलता, मैं हर किसी से हिलमिल नहीं सकता या मैं हर किसी से हिलमिल जाता हूं, हर चीज का हिसाबकिताब रखना चाहिए या हर चीज का हिसाबकिताब नहीं रखना चाहिए.

नियम का अर्थ कि कोई ऐसा काम जिसे आप अवश्य करना चाहें, जिसे किए बिना आप को लगे कुछ कमी रह गई है. मैं अकसर आसपास देखता हूं और कभीकभार महसूस भी होता है कि पक्का नियम जिसे हम जीतेमरते निभाते हैं वह हमें बड़ी मुसीबत से बचा भी लेता है. हमारे एक मित्र हैं जिन की पत्नी पिछले 10 साल से सुबह सैर करने जाती थीं. 2-3 पड़ोसिनें भी कभी साथ होती थीं और कभी नहीं भी होती थीं.

‘‘देखा न कुसुम, भाभी रोज सुबह सैर करने जाती हैं तुम भी साथ जाया करो. जरा तो अपनी सेहत का खयाल रखो.’’

‘‘सुबह सैर करने जाना मुझे अच्छा नहीं लगता. सफाई कर्मचारी सफाई करते हैं तो सड़क की सारी मिट्टी गले में लगती है. जगहजगह कूड़े के ढेरों को आग लगाते हैं...गली में सभी सीवर भर जाते हैं. सुबह ही सुबह कितनी बदबू होती है.’’  बात शुरू कर के मैं तो पत्नी का मुंह ही देखता रह गया. सुबह की सैर के लाभ तो बचपन से सुनता आया था पर नुकसान पहली बार समझा रही थी पत्नी.

‘‘ताजी हवा तब शुरू होती है जब आबादी खत्म हो जाती है और वहां तक पहुंचतेपहुंचते सन्नाटा शुरू हो जाता है. खेतों की तरफ निकल जाओ तो न आदमी न आदमजात. इतने अंधेरे में अकेले डर नहीं लगता क्या कुसुम भाभी को.’’

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...