इस कलिकाल में ईश्वर के रूप में यदि कोई प्रमाणित है तो वह डाक्टर है क्योंकि सब से ज्यादा सुमिरन इन्हीं का होता है, सब से ज्यादा भेंट या दान इन्हीं को चढ़ाया जाता है. मजे की बात यह कि भूत, भविष्य या वर्तमान का ज्ञाता डाक्टर को ही माना जाता है. मंदिरों के बाद यदि हर रोज भीड़ कहीं लगती है तो इन के क्लीनिक या अस्पतालों में. ईश्वर के बाद यदि किसी पर लोग श्रद्धा, भक्ति व विश्वास रखते हैं तो डाक्टर पर. कुछ नास्तिक भी होते हैं, पर वे भी पूरी तरह से इन का विरोध नहीं करते. इन को यदि चिढ़ है, तो इन चिकित्सकों के अन्य अवतारों से जो प्रेमसमर्पण के भाव सन्निहित रखते हैं. हमारे एक मित्र ने बताया कि एक बार मजाकमजाक में उन का मन ‘डाक्टर’ का टैस्ट लेने का हुआ और वे 4 दोस्तों के साथ क्लीनिक में घुस गए. नंबर आने पर डाक्टर ने पूछा, ‘‘क्या हुआ?’’

‘‘डाक्टर साहब, कुछ समझ में नहीं आ रहा है. जाने कैसा लग रहा है, अजीब सा फील हो रहा है.’’ इतना बताना उन अंतर्यामी के लिए पर्याप्त था, जबकि गौर से देखें तो उन मित्र ने डाक्टर को कुछ नहीं बताया था. डाक्टर ने तुरंत नाड़ी देखी, घड़ी देखी, नाड़ी पकड़ेपकड़े शून्य में देखा, एक लघु टार्च उठाई, आंखों में आंखें डाल कर देखा, जीभ देखी कि कहीं चट्टू तो नहीं है. आंखों में बेशर्मी देखी या क्या, पता नहीं. पेट देखा कि भरा है या नहीं कि कहीं भुक्खड़ तो नहीं आ गया, जो फीस ही न दे सके. फिर आला (स्टेथस्कोप) लगा कर आगापीछा देखा. यह भी समझना मुश्किल लग रहा था कि हमारा आगापीछा देख रहे हैं या अपना या अपनी फीस चुकाने का दमखम.

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