मैं अपनी रूही से धनतेरस के दिन मिलने वाला था, लेकिन पता चला कि वह आस्ट्रेलिया से लौटी ही नहीं है, तो मेरी व्याकुलता बढ़ गई. क्योंकि मैं मन ही मन चाह रहा था कि इंतजार की घडि़यां जल्दी खत्म हो जाएं. कई रातों से मैं ठीक से सोया भी नहीं हूं. नींद आती भी तो कैसे. कभी उस के बारे में तो कभी अपने बारे में सोचसोच कर मैं परेशान हुए जा रहा हूं. इधर मेरी डायरी के पन्ने प्यार के खत लिखलिख कर भर गए हैं. मैं ने उसे 3 माह पहले एक सौंदर्य प्रतियोगिता में देखा था. मुझे निर्णायक के तौर पर बुलाया गया था. मैं भी इस प्रतियोगिता के लिए आतुर था.

सौंदर्य प्रतियोगिता का चिरप्रतीक्षित दिन आ गया. मैं सुगंधित इत्र लगा कर फैशनेबल कपड़ों में वहां पहुंच गया. वहां का नजारा देख दिल बागबाग हो गया. सरसराते आंचलों और मदभरी सुगंधलहरियों के बीच नाना सुंदरियां खिलखिला रही थीं. रूप का हौट हाट लगा हुआ था. सौंदर्य प्रतियोगिता के मुख्य अतिथि तथा अन्य अतिथि मंच की ओर प्रस्थान करने लगे. मैं भी उन में शामिल था.

मंच के एक ओर मनमोहक झलक पड़ी. अरे...यह कौन? अनूठा रंगरूप है...ऐसा रूप तो पहले कहीं नहीं देखा था. रूही के रूपवैभव पर तो सारा विश्व गर्व करता है. आज मैं ही नहीं अपितु सारा विश्व इस लावण्यमयी की रूपराशि के समक्ष नतमस्तक होने को आतुर है. ऐसा सौंदर्य मुंबई महानगर में भी नहीं दिखता.

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उस की आवाज में जादू है. विश्वास ही नहीं होता कि ऐसा स्वर भी होता है. वह रूपगुण की धनी थी. उस दिन मैं पहली ही झलक में उस पर मरमिटा था. न जाने कितनी कल्पनाएं कर बैठा था. ऐसा लगा था जैसे मेरी वर्षों की तलाश पूरी हो गई हो. मैं मन में एक प्यारे सपने का घरौंदा संजोने लगा.

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